भाजपा में कौन बड़ा की जंग, सम्राट ने नीतीश के साथ मोदी को लपेटा
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा नीतीश कुमार ने 18 साल तक बिहार को लूटा। नीतीश के कभी जोड़ीदार रहे सुशील मोदी निशाने पर आए। भाजपा में खटपटर?
अटल बिहारी वाजपेयी वाली भाजपा में बिहार के सबसे बड़े नेता सुशील मोदी ही थे। वे लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पसंदीदा उपमुख्यमंत्री रहे। दोनों की जोड़ी की चर्चा बिहार से बाहर दिल्ली तक थी। बिहार भाजपा में तब भी नीतीश कुमार से अलग होने की राय रखने वाले नेता थे, लेकिन सुशील मोदी के रहते किसी और की नहीं चली। फिर जब प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की भाजपा बनी, तबसे सुशील मोदी के बुरे दिन आ गए। वे उप मुख्यमंत्री नहीं बन सके। उम्मीद थी कि उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी, पर वह भी नहीं हुआ। अब प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार को 18 साल लूटा। उनके इस बयान के तुरत बाद सुशील मोदी निशाने पर आ गए। लोग कह रहे इन 18 वर्षों में 16 साल नीतीश के साथ भाजपा थी, जिसके नेता सुशील मोदी थे। साफ है नीतीश पर आरोप लगाने का अर्थ है सुशील मोदी पर भी आरोप लगाना। तो क्या चल रहा है भाजपा में?
क्या सम्राट चौधरी इस बात से वाकिफ नहीं थे कि 18 साल तक नीतीश ने बिहार को लूटा कहने पर सुशील मोदी से इसे नहीं जोड़ा जाएगा? नीतीश और मोदी की जोड़ी लंबी और चर्चित रही है। साधारण सी बात है कि नीतीश के उन 18 साल पर हमला करने का अर्थ है सुशील मोदी को भी सवालों के घेरे में लाना।
शायद आपने गौर किया हो हाल के दिनों में भाजपा नेताओं ने ऐसे बयान दिए, जैसा पहले किसी ने नहीं दिया। सम्राट चौधरी ने कहा कि जदयू अध्यक्ष ललन सिंह के भोज में शराब परोसी गई। दूसरे नेता विजय सिन्हा ने ललन सिंह के भोज से पहले मुंगेर से अचानक कुत्तों के गायब होने की बात कही। समझ लीजिए नई भाजपा में नई प्रतियोगिता छिड़ी है, एक नई जंग छिड़ी है, जिसके नए नियम-कायदे हैं।
नीतीश कुमार ने बिहार को 18 साल तक लूटा कह कर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने क्या एक तीर से दो निशाना साधा है? सवाल है बिहार भाजपा में सबसे बड़ा नेता कौन है, अगर 2025 में सरकार बनाने का मौका मिला, तो कौन होगा मुख्यमंत्री पद का दावेदार, ये ऐसे सवाल हैं, जिसे हर नेता खारिज करेंगे, पर सवाल तो है। सवाल यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की नजर में कौन ज्यादा फिट है? लगता तो यही है कि भाजपा में भीतर ही भीतर कौन बड़ा की नई लड़ाई छिड़ गई है।
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