बौद्ध धर्म अपनाने के बाद दलितों ने देवी-देवताओं के चित्र नदी में बहाए
दिल्ली में हजारों दलितों के बौद्ध धर्म अपनाने के बाद लखनऊ में भी बौद्ध धर्म अपनाया। कर्नाटक में बौद्ध धर्म अपनाने के बाद देवी-देवताओं के चित्र नदी में बहाए।
दलित टाइम्स की खबर के अनुसार आज कर्नाटक में दलितों ने बौद्ध धर्म अपनाया। इसके बाद उन्होंने देवी-देवताओं के चित्र कृष्णा नदी में बहा दिए। दलित टाइम्स ने इस अवसर का एक वीडियो भी जारी किया है, जिसमें देवी-देवताओं के चित्र कृष्णा नदी पर बने पुल से नदी में गिराते दिख रहा है।
कर्नाटक में बौद्ध धम्म की दीक्षा लेने के बाद दलितों ने घर में रखे हिंदू देवी देवताओं के चित्रों को कृष्णा नदी में बहाया। pic.twitter.com/FBxVyQfqyl
— Dalit Times | दलित टाइम्स (@DalitTime) October 11, 2022
दलित टाइम्स की इस खबर के बाद सोशल मीडिया पर कई प्रतिक्रियाएं आई हैं। ट्विटर पर मुकेश त्रिपाठी ने लिखा-चलो अब इनके ज़िंदगी में ऐशो आराम मिलेगा। महलों में रहने लगेंगे और मर्सिडीज़ में घुमेंगे और इनके बच्चे अब सरकारी नहीं, विदेशों में पढ़ेंगे, क्योंकि ये सारा ऐशो आराम इन देवी देवताओं की वजह से नहीं मिल पा रहा था।
जवाब में आंबेडकरवादी पवन ने लिखा-अपमान की मर्सेडीज़ से तो सम्मान की साईकल अच्छी होती है । उम्मीद है समझ गए होंगे बात को।
इधर, दिल्ली में आम आदमी पार्टी के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने बौद्ध धर्म अपनाने के दौरान 22 प्रतिज्ञाएं ली थीं, जिसके बाद कई हिंदुत्ववादी संगठनों ने विरोध किया। कहा गया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नाराज हैं। इसके बाद दौतम ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। आज दिल्ली पुलिस ने उन्हें थाने में आ कर जवाब देने को कहा। खबर लिखे जाने तक गौतम थाने में ही हैं। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि अभी मैं पहाड़गंज थाने में हूं। आज मेरे निवास पर महर्षि बाल्मीकि जी की जयंती मनाई जा रही है जिसका समय शाम 4:00 बजे का था। जैसे ही पुलिस इजाजत देती है मैं जयंती समारोह में पहुंचता हूं। जय भीम, जय वाल्मीकि!
गौतम ने यह भी कहा कि उन्होंने पुलिस को अपना लिखित जवाब दे दिया है, फिर भी पुलिस बाहर नहीं जाने दे रही। राजेंद्र पाल गौतम को पुलिस के नोटिस पर कई दलित संगठनों और नेताओं ने आलोचना की है।
पूर्व सांसद कांग्रेस के डॉ. उदित राज ने कहा बीजेपी सासंद प्रवेश वर्मा ने खुलेआम मुसलमानों के खिलाफ़ नफरती बात कही, पुलfस चुप। राजेंद्र पाल गौतम ने कौन सा ऐसा गुनाह किया कि पुलfस प्रताड़ित कर रही है। केजरीवाल जी आप सिसोदिया और जैन के साथ खड़े हो गए और दलित मंत्री की कुर्बानी ले ली।
उदित राज ने आप के पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम की भी आलोचना करते हुए ट्वीट किया-राजेंद्र गौतम जी, जय भीम बनाए, दीक्षा इसी के तहत हुई तो भागे क्यों कि व्यक्तिगत रुप से उपस्थित हुए थे? Bjp के लोगों की भावना की ठेस पर माफी मांगी, केजरीवाल की छवि के लिऐ इस्तीफा दिए। बाबासाहेब की 22 प्रतीज्ञा के लिऐ खड़े नहीं रह सके तो कूदे क्यों? इससे मनुवादियों का हौसला बढ़ा!
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