बसपा की राह चली सपा, ब्राह्मणों को क्यों लुभा रहीं दोनों
पहले बसपा ने यूपी में ब्राह्मण सम्मेलन करने की घोषणा की, अब उसी की राह पर सपा भी चल पड़ी। सपा भी करेगी ब्राह्मण सम्मेलन। क्या है मामला?
इस बार यूपी के ब्राह्मणों के दोनों हाथ में लड्डू है। पहले मायावती की पार्टी बसपा ने ब्राह्मण सम्मेलन करने की घोषणा की, अब सपा ने भी कह दिया है कि वह भी प्रदेश में ब्राह्मण सम्मेलन करेगी। कोई दल मजदूर सम्मेलन, किसान सम्मेलन या बेरोजगार सम्मेलन नहीं कर रहा है, सभी ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने में लग गए हैं।
इसकी वजह है। माना जा रहा है कि यूपी के ब्राह्मण योगी सरकार से नाराज हैं। उनका मानना है कि योगी सरकार में एक जाति विशेष को ही तवज्जो दी गई। राज्य में ब्राह्मण आबादी 10 प्रतिशत मानी जाती है। कई संगठन इससे ज्यादा संख्या मानते हैं। 2007 में मायावती की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी। तब यह कहा गया था कि ब्राह्मणों के एक हिस्से ने मायावती को वोट दिया। 2012 में अखिलेश यादव की सरकार बनी। फिर 2017 में भाजपा की सरकार भारी बहुमत से बनी। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने। 2017 में ब्राह्मण भाजपा के साथ पूरी तरह थे।
दो दिन पहले अयोध्या में बसपा का ब्राह्मण सम्मेलन हुआ। इसे प्रबुद्ध वर्ग विचार संगोष्ठी नाम दिया गया था। इस सम्मेलन में जयश्रीराम और जय परशुराम के नारे लगे। भव्य राम मंदिर बनाने का वादा किया गया। मंच पर लगे बैनर में मायावती के साथ राम मंदिर की तस्वीर भी लगी थी। आयोजन सतीश चंद्र मिश्र ने किया। वे सम्मेलन से पहले रामलला और हनुमानगढ़ी में दर्शन के लिए भी गए।
अब आज खबर आ रही है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव पार्टी के ब्राह्मण नेताओं से मिले। भारत समाचार की खबर के अनुसार सपा राज्य में ब्राह्मण सम्मेलन करेगी। इसकी शुरुआत बलिया से होगी। अखिलेश से मिलने गए नेताओं ने भगवान परशुराम की प्रतिमा भेंट में दी। अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि क्या सपा के ब्राह्मण सम्मेलन में भी जयश्रीराम के नारे के साथ भव्य राम मंदिर बनाने का संकल्प लिया जाएगा।
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इस बीच सोशल मीडिया पर यह खबर आते ही लोग पूछ रहे हैं कि कोई मजदूर-किसान या बेरोजगार सम्मेलन क्यों नहीं कर रहा?
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