केंद्र की एनडीए सरकार के बजट में बिहार के लिए एक्सप्रेस-वे और गया में मंदिर कॉरिडोर के अलावा कुछ खास नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि वे खुश हैं। भाजपा नेता कह रहे हैं कि भारत विकसित भारत बन जाएगा। सवाल है कि क्या नीतीश कुमार की तरह बिहार की जनता भी खुश है? क्या इतने से ही 2025 चुनाव में नीतीश कुमार और भाजपा को जीत मिल जाएगी?
केंद्रीय बजट में कहने को 26 हजार करोड़ रुपए की योजनाएं दी गई हैं। इनमें पटना-पूर्णिया, बोधगया-वैशाली और भागलपुर- बक्सर हाइवे बनेगा। एक पावर प्रोजेक्ट दिया गया है। बाढ़ नियंत्रम के लिए राशि दी गई है। इसके साथ महाबोधि मंदिर के विकास के लिए कार्य होगा।
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बिहार की सबसे बड़ी समस्या रोजगार की है। रोजगार के अभाव के कारण बिहार मजदूरों की सप्लाई करने वाला स्टेट बन कर रह गया है। पांच हजार, दस हजार रुपए के काम के लिए भी लोग दूसरे राज्य में पलायन करने को मजबूर हैं। केंद्रीय बजट से बिहार में बड़े पैमाने पर रोजगार के विकास की कोई उम्मीद नहीं है। ले-देकर बिहार अपने दुर्भाग्य के साथ जीने को मजबूर रहेगा। रोजगार के बाद शिक्षा को लेकर भी कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई। पटना विवि को केंद्रीय विवि बनाने की मांग पर केंद्र ने विचार नहीं किया। बिहार से हर साल लाखों की संख्या में पढ़ाई के लिए छात्र दूसरे राज्य में जाने को मजबूर हैं। इस बजट से बिहार में बदलाव की कोई उम्मीद नहीं है। इस बजट को मुख्यमंत्री जितना भी अच्छा बता दें, लेकिन अगले साल विधानसभा चुनाव में इससे एनडीए को कोई मदद नहीं मिलने जा रही। इधर विपक्ष ने बिहार के विकास का सवाल उठाया है। विपक्ष का कहना है कि केंद्र ने धोखा दिया। डबल इंजन ने बिहार के लोगों को निराश किया है। माना जा रहा था कि विशेष दर्जा या पैकेज मिलने से एनडीए को फायदा होगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। स्पष्ट है कि अगले साल एनडीए और इंडिया में कड़ा मुकाबला होगा।