CAA-NPR पर थमने का नाम नहीं ले रही लोकतांत्रिक जंग, पटना से फुलवारी तक प्रोटेस्ट
टीम नौकरशाही मीडिया
CAA-NPR के खिलाफ पटना विश्वविद्यालय और गांधी मैदान से ले कर फुलवारी तक धरना प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा. जहां पटना विश्विद्यालय गेट पर सैकड़ों लगों ने दिन भर धरना दे कर मोदी सरकार के खिलाफ जम कर नारेबाजी की वहीं, फुलवारी शरीफ में हेवीवेट सामाजिक कार्यकर्ता व सियासतदानों ने ठंड की परवाह किये बिना दिन भर धरना में डटे रहे.
गांधी मैदान
उधर लोकतांत्रिक जनपहल के लगातार चौथे दिन धरना से घबराये पटना जिला प्रशासन ने गांधी मैदान में धरना देने पहुंचे सैकड़ों लोगों को धरना की इजाजत नहीं दी तो वे गांधी मैदान के बाहर ही धरने पर बैठ गये.
फुलवारी शरीफ
वहीं फुलवारी में जनतादल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजनक अशफाक रहमान, मिली काउंसिल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना अनीसुर रहमान कासमी व सामाजिक कार्यकर्ता नुसूर अजमल के साथ सैकड़ों लोग नागरिकता कानून के खिलाफ धरना दिया.
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नीतीश की गुलामी न छोड़ी तो इतिहास में दफ्न हो जायेंगे ये मुस्लिम विधायक
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फुलवारी में आयोजित धरना में अशफाक रहमान ने आह्वान किया कि हमारे पास बस एक ही विकल्प है कि हम जनशक्ति से नागिरकता के काले कानून की दीवार गिरा दें. उन्होंने कहा कि इस देश की मिट्टी में हमारी अनगिनत पीढ़ियों का खून शामिल है और हमें कोई फासीवादी ताकत इस मिट्टी से जुदा नहीं कर सकती. वहीं मौलान अनीसुर रहमान कासमी ने नीतीश सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि वह NPR पर राज्य सरकार के रुख को स्पष्ट करें और घोषणा करें कि राज्य में इसे लागू नहीं होने देंगे. जबकि इस अवसर नुसूर अजमल ने साफ तौर पर कहा कि हमें नागरिकता की तानाशाही और असंवैधानिक कानून किसी भी हाल में मंजूर नहीं है.
पटना युनिवर्सिटी
पटना युनिवर्सिटी गेट पर सैकड़ों महिलाओं और युवाओं ने धरना दिया और फैज अहमद फैज की नज्म हम देखेंगे.. गीत को दोहराया.
दूसरी तरफ पटना के गांधी मैदान परिसर से बाहर कंचन बाला, कीर्ति, और दीगर सैकड़ों महिला और पुरुषों की टीम आज चौथे दिन भी धरना व अनशन पर डटी रही.
उधर पटना के अनेक जगहों पर विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों ने नागरिकता कानून से जुड़े मुद्दे पर रणनीतिक बैठकें और सेमिनार का आयोजन किया. जिस तरह से और जिस जोश के साथ ये आयोजन हो रहे हैं उससे लगता है कि विरोध का स्वर दबने वाला नहीं है.
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सुनो 20 करोड़ मुसलमानो! वादा करो हम NRC में नाम दर्ज नहीं करायेंगे, वे हमें देश से निकाल कर दिखायें
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काबिले जिक्र है कि पिछले 11 दिसम्बर को मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम पारित किया था जिसके तहत तीन पड़ोसी देशों से भारत में आये हिंदुओं, सिखो, बौद्धों, जैनों और ईसाइयों को नागिरकता प्रदान करने की बात कही गयी है जबकि इस सूची में मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है.
इस कानून के पारित हो जाने के बाद देश भर में लगातार लाखों लोग सड़कों पर उतर रहे हैं. अब तक असम, बिहार व उत्तर प्रदेश के प्रदर्शनों के दौरान, पुलिस या साम्प्रदायिक उन्मादियों द्वारा 25 से ज्यादा प्रदर्शनकारी शहीद हो चुके हैं. शहीद होने वालों में हिंदू व मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग शामिल हैं.