उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने संबंधी कॉलेजियम के फैसले को केंद्र सरकार ने वापस कर दिया है. जोसेफ वही जस्टिस हैं जिन्होंने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को पलट दिया था.

केंद्र सरकार के इस फैसले पर भारी बवाल हो रहा है.  और आरोप लगाया जा रहा है कि केंद्र सरकार जस्टिस जोसेफ के फैसले का बदला ले रही है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट के जज के ओहदे पर दो नामों की सिफारिश की थी. इन में से एक उत्तराखंड हाई कोर्ट के  चीफ जस्टिस केएम जोसेफ तो दूसरा सुप्रीम कोर्ट की वकील इंदु मल्होत्रा हैं. सरकार ने कालेजियम द्वारा सिफारिश किये गये

केद्र के इस फैसले के बाद न्यायपालिका के साथ टकराव की स्थिति बन गयी है. जस्टिस जोसेफ का नाम वापस कर दिये जाने को कुछ लोग उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने के फैसेल से जोड़ कर देख रहे हैं.

 

याद रहे कि केंद्र की एनडीए सरकार ने उत्तराखंड में कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार को बर्खास्त कर दिया था. लेकिन जब इस फैसले के खिलाफ अदालत में चुनौती दी गयी तो अदालत ने राष्ट्रपति शासन लागू किये जाने के फैसले को अनुचित करार दिया था. इस फैसले के बाद केंद्र सरकार की भारी किरकिरी हुई थी. हालांकि तब कुछ लोगों ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि केंद्र सराकर जबरन अपनी पार्टी की सरकार( उत्तराखंड में)  बनाने के लिए  जबर्दस्ती राष्ट्रपति शासन थोप रही है.

वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 100 से ज्यादा वकीलों ने केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना की है। जय सिंह ने कहा, ‘हमें इस बात की जानकारी है कि केंद्र सरकार ने जस्टिस केएम जोसेफ के नाम को तवज्जो क्यों नहीं दी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जस्टिस जोसेफ ने केंद्र के उत्तराखंड के राष्ट्रपति शासन के फैसले को खारिज कर दिया था।’

बता दें कि 2016 में केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया था, जिसे उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ ने खारिज कर दिया था। इसके बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार फिर से बहाल हो गई थी।

 

 

 

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427