छठ के 3 खास संदेश : कारी सोहैब, चमनचक व प्रदीप जैन ने दिए
महापर्व छठ संपन्न हो गया। यहां तीन विशेष बातों की चर्चा जरूरी है। राजद के कारी सोहैब, पटना बाइपास स्थित चमनचक के ग्रामीण व प्रदीप जैन के खास संदेश।
आज लोकपर्व छठ संपन्न हो गया। हर बार छठ पर्व हमारे लिए खास संदेश देकर जाता है। इस बार भी अनेक बातें महत्वपूर्ण रहीं, जिनमें तीन की चर्चा हम यहां करेंगे। युवा राजद के अध्यक्ष कारी सौहेब ने दो फोटो शेयर किए हैं, जो आज के समय के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। पटना जैन संघ के अध्यक्ष प्रदीप जैन ने कृत्रिम तौर पर बनाए जानेवाले छोटे पोखर के जल को छठ के बाद नाली में बहा देने का एक अतिसुंदर विकल्प पेश किया है। और पटना बाइपास स्थित गांव चमनचक के ग्रामीणों ने स्वार्थ के इस युग में समाज की चिंता का उदाहरण पेश किया है। आइए, पहले चमनचक के साधारण ग्रामीणों की असाधारण चिंता और विचार की चर्चा करते हैं।
न्यू बाइपास किनारे एक पुराना गांव चमनचक है। बगल में विजयनगर बसा है। यहीं पचासों वर्ष पुराना देवी स्थान मंदिर है। यहां वर्षों से लोग कृत्रिम पोखर बनाकर छठ करते आए हैं। इसबार यहां स्थायी पोखर निर्माण के लिए सरकारी राशि आवंटित हुई। चमनचक के ग्रामीणों के लगातार प्रयास का यह फल था। लेकिन एक व्यक्ति ने विरोध कर दिया। फिर पुलिस और तमाम सरकारी अधिकारी कई बार आए।
ग्रामीण चाहते हैं कि पोखर बने, चारों तरफ वे फूल-पौधे लगाएं। अबतक यहां सालों भर गोबर और गंदा पानी जमा रहता है, वह दूर हो। स्थायी पोखर और फूल-पौधों से स्वच्छता रहेगी, पर्यावरण बेहतर होगा। भूगर्भीय जल स्वच्छ होगा तथा आस-पास की हवा भी बेहतर होगी। सुबह-शाम बुजुर्ग-बच्चे यहां समय बिता सकेंगे।
आज जब आदमी अपने स्वार्थ में समाज का अहित करने से भी बाज नहीं आता, तब चमनचक के ग्रामीणों का समाज के लिए यह सोच सराहनीय है। इस बार चमनचक और विजयनगर के लोगों ने देवी स्थान मंदिर और छठ घाट को खूब सजाया और धूम-धाम से महापर्व मनाया। पूरे आयोजन में किरण गोप, अर्जुन कुमार, पिंटू कुमार, संतोष कुमार, अशोक कुमार सक्रिय रहे। पर्व संपन्न होते ही बुजुर्ग धनेश्वर जी रोज की तरह सफाई में जुट गए। उनकी टीम ने व्रतियों द्वारा छोड़े गए चाय के कप, प्लास्टिक सहित हर तरह की गंदगी को साफ कर दिया।
राजद के युवा नेता कारी सोहैब ने आज दो फोटो शेयर किए हैं। दोनों फोटो छठ पर्व की महिमा को बढ़ानेवाले हैं। पर्व का मतलब ही होता है प्रेम। कारी सोहैब के दोनों फोटो भाईचारा का संदेश दे रहे हैं, जिसकी आज बहुत जरूरत है। किसी भी धर्म का पर्व हो, वह लोगों को आपस में जोड़ने के लिए ही बनाया गया है। इसी से हमारा समाज और देश खुशहाल होगा। ये हैं दोनों तस्वीरें-
और तीसरी खास बात पटना जैन संघ के अध्यक्ष प्रदीप जैन ने कही। उन्होंने नौकरशाही डॉट कॉम से कहा कि बदलते समय में पर्व का स्वरूप भी बदला है। छठ पर्व मूलतः नदी, तालाब, पोखर किनारे किया जानेवाला पर्व रहा है।
औद्योगिक कचरे, शहरी आबादी के नालों के कारण हमारी नदियां मर रही हैं। उन्हें बचाने के लिए और अन्य कारणों से सरकार भी चाहती है कि लोग अपनी कॉलनी में, छत पर कृत्रिम घाट बनाकर पूजा करें। यह प्रचलन बढ़ा है। साथ ही एक नई समस्या भी सामने आई है। कृत्रिम घाट बनाने में हजारों लीटर पानी जमा किया जाता है। पर्व संपन्न होने पर इस पानी को अमूमन लोग नाले में बहा देते हैं। इससे पानी की बर्बादी हो रही है।
छठ व्रती जिस पानी में खड़े हुए, अर्घय दिए, उस पानी को पवित्र माना जाता है। इसे इत तरह नाले में बाह देना अनुचित है। अच्छा होगा कि इस पानी को हर घर में वितरित किया जाए और लोग इस पानी को अपने घर के गमलों में डालें। इससे छठ-जल की पवित्रता भी बनी रहेगी, फूल-पौधों को पानी भी मिलेगा। इस सुझाव पर जरूर विचार करिएगा।
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