चिराग पासवान भले ही खुद को भावी मुख्यमंत्री मान रहे हों, लेकिन उन्हीं की पार्टी में उनके नेताओं ने विद्रोह कर दिया है। एक साथ 38 नेताओं ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया है। त्यागपत्र देनेवालों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। अपने एक बहनोई को सांसद, दूसरे को आयोग में जगह दिलाने के बाद किरकिरी झेल रहे लोजपा प्रमुख को इस घटनाक्रम से बड़ा झटका लगा है।

लोजपा की खगड़िया इकाई ने चिराग पासवान के खिलाफ विद्रोह कर दिया है। जिसे के जिन 38 नेताओं ने एकसाथ सामूहिक इस्तीफा दिया है, उनमें पार्टी के प्रदेश महासचिव रतन पासवान, पूर्व जिला अध्यक्ष शिवराज यादव, युवा लोजपा के जिला अध्यक्ष सुजीत पासवान भी शामिल हैं। ये सभी नेता स्थानीय सांसद राजेश वर्मा क कार्यशैली से नाराज थे। और अब उन्हीं के कहने पर प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने मनीष कुमार उर्फ नाटा सिंह को जिला अध्यक्ष बना दिया। इसके बाद वर्षों से चिराग के लिए मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं में भयानक नाराजगी हो गई। कार्यकर्ताओं का कहना है कि पार्टी के लिए काम हम करते हैं और जिला अध्यक्ष बनाने की बारी आई, तो धनबली को अध्यक्ष बना दिया गया। कार्यकर्ताओं ने और भी आरोप लगाए।

इस तरह सामूहिक इस्तीफे से लोजपा की आंतरिक स्थिति का पर्दाफाश हो गया है। चिराग पासवान के बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट अभियान को भी बड़ा झटका लगा है। जब पार्टी के भीतर ही काम करने वाले कार्यकर्ताओं की पूछ नहीं होगी, उन्हें सम्मान नहीं मिलेगा, तो बिहार के सम्मान के लिए किस प्रकार संघर्ष किया जा सकता है।

अभी यह साफ नहीं हो सका है कि इस्तीफा देने वाले नेता-कार्यकर्ता किस दल में जाएंगे। बताया गया कि वे आगे फिर भैटक करेंगे तथा सामूहिक फैसला लेंगे। यह भी जानकारी मिली है कि ये नेता इंडिया गठबंधन के किसी दल में शामिल हो सकते हैं।

 

By Editor