15 दिन पहले चिराग पासवान खूब चर्चा में थे। आरा में उनकी रैली में सात जिलों से लोग जुटाए गए थे। उन्होंने बार-बार कहा कि वे बिहार की राजनीति करेंगे। उनके समर्थकों ने उन्हें बिहार का अगला मुख्यमंत्री घोषित कर दिया। तब लगा था कि वे बिहार में कोई नया अभियान शुरू करेंगे। उन्होंने नव संकल्प लिया था। लेकिन अब हालत यह है कि 15 दिन बीत गए, लेकिन उनकी दूसरी रैली नहीं हुई। अब वे नहीं कह रहे कि बिहार उन्हें बुला रहा है। उनके समर्थक भी ढीले दिखने लगे हैं। इन 15 दिनों में आखिर क्या हुआ ?

चिराग पासवान के बहनोई और जमुई के सांसद अरुण भारती ने कहा कि 20 जून को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीवान आए, तब मंच पर नीतीश कुमार के साथ चिराग पासवान की बात हुई। मुख्यमंत्री ने पूछा था कि सुना है आप बिहार से चुनाव लड़ने वाले है। जिसके जवाब में चिराग ने कहा कि हां, पार्टी में विचार चल रहा है। फैसला होने पर आपका आशीर्वाद लेने आएंगे।

इसी बातचीत को जदयू के नेताओं ने दूसरे ढंग से बताया। जदयू नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपनी नाराजगी खुल कर जता दी। कहा कि आप केंद्र में मंत्री हैं, फिर बिहार से चुनाव लड़ने की क्या जरूरत है। जदयू नेताओं ने यह भी दावा किया कि भाजपा क शीर्ष नेतृत्व ने भी चिराग को कड़ा संदेश दे दिया है, इसलिए वे ठंडे पड़ गए हैं।

मिली जानकारी के अनुसार 8 जून के बाद अब चिराग पासवान का अगला कार्यक्रम 29 जून को राजगीर में होगा। स्पष्ट है कि महीने में दो कार्यक्रम करके वे बिहार के मुख्यमंत्री का दावा पेश नहीं कर सकते। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि आरा की रैली के बाद नीतीश कुमार ने तेवर कड़े कर दिए, जिसके बाद चिराग को अपने कदम पीछे खींचने पड़े। जानकार यह भी कहते हैं कि चिराग पासवान भाजपा की मर्जी के बिना कोई बड़ा निर्णय  नहीं ले सकते।

 

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