CLP लीडर बने शकील अहमद खान, क्या कर पाएंगे ओवैसी की काट
कटिहार के कदवा से दुबारा विधायक चुने गए शकील अहमद खान बिहार कांग्रेस विधायक दल (CLP) के नेता चुन लिये गए। क्या पूर्वांचल में कर पाएंगे ओवैसी की काट?
लोकसभा चुनाव 2024 में अब सिर्फ नौ महीने ही रह गए हैं। ऐसे में हर दल अपनी तैयारी में जुट गया है। कांग्रेस विधायक दल की बैठक शनिवार को पार्टी मुख्यालय सदाकत आश्रम में हुई, जिसमें कटिहार के कदवा से दुबारा विधायक चुने गए शकील अहमद खान बिहार कांग्रेस विधायक दल (CLP) के नए नेता चुन लिये गए। इससे पहले भागलपुर के विधायक अजीत शर्मा विधायक दल के नेता थे।
कांग्रेस में इस परिवर्तन का सीधा संबंध आगामी लोकसभा चुनाव से है। पार्टी का पूर्वांचल में प्रभाव रहा है। इसी इलाके में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का भी प्रभाव है। राज्य में दो विधानसभा उपचुनाव में भी ओवैसी की पार्टी को वोट मिले और दोनों ही सीटें महागठबंधन हार गया। दोनों जगह भाजपा की जीत हुई। उसके बाद से ही ओवैसी की पार्टी को लेकर महागठबंधन में बीतर ही भीतर चिंता रही है।
शकील अहमद खान को विधायक दल का नेता बना कर स्पष्ट है कि पार्टी मुसलमानों में अपनी पैठ बढ़ाना चाहेगी। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या शकील अहमद ओवैसी के प्रभाव को कम कर पाएंगे? ओवैसी की पार्टी के विस्तार या प्रभाव के पीछे दो बड़ी वजहें हैं। पहला, वे इस बात को जोर देकर उठाते हैं कि सेकुलर दल मुसलमानों का वोट तो लेते हैं, पर उनके मुद्दों पर मुखर नहीं होते और दूसरा मुस्लिम आबादी के आर्थिक-शैक्षणिक विकास के मुद्दे।
शकील अहमद खान औवैसी की पार्टी की काट तभी कर पाएंगे, जब वे मुस्लिम मुद्दों पर मुखर होंगे तथा मुस्लिम हितों को बुलंद कर पाएंगे। इसके लिए उनके पास अपनी योजना होनी चाहिए तथा उसे अमल में लाने के लिए राज्य की महागठबंधन सरकार को तैयार करना होगा। लोकसभा चुनाव में समय बहुत कम बचा है. इसलिए ये दोनों कार्य शकील अहमद के लिए चुनौतीपूर्ण होंगे। AIMIM के बिहार के अध्यक्ष अख्तरुल ईमान भी पूर्वांचल इलाके से ही आते हैं। वे पूर्णिया के अमौर से विधायक हैं।
शकील अहमद से पहले कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा थे। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह हैं। दोनों ही एक ही जाति भूमिहार से आते हैं। इसलिए तय माना जा रहा था कि विधायक दल के नेता अजीत शर्मा नहीं रह पाएंगे।
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