कोविड : हिंदू-मुस्लिम दोनों को ख़ानक़ाह मुनएमिया में दी श्रद्धांजलि
दुख का धर्म नहीं होता। कोविड से क्या हिंदू, क्या मुस्लिम, सबने जान गंवाई। पहली बार पटना में कोरोना से मरे हिंदू-मुस्लिम दोनों को एकसाथ दी गई श्रद्धांजलि।
कोरोना वैश्विक महामारी में जिन लोगों की असमय मृत्यु हो गई उनकी आत्मा की शांति एवं उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए आज ख़ानक़ाह मुनएमिया, मितनघाट में सज्जादाहनशीं एस.एस. शमीमुद्दीन अहमद मुनएमी की सदारत में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इसका संचालन समाजसेवी मो.जावेद ने किया। इस अवसर पर अपने पिता को श्रद्धांजलि देकर याद करने वाले सुजीत कुमार, पुत्र को गंवा चुके अशोक केशरी और रघुवीर चौधरी तथा अपने बड़े भाई को बचाने में कोरोना से युद्ध हार चुके शाह शादाब ने जब अपनों से बिछड़ने का दुख अपने अपने अंदाज में ब्यान किया तो सभा में भाग ले रहे सभी लोग अपने आंखों में आंसू रोक नही पाए।
जनाब शमीमुद्दीन अहमद मुनएमी ने दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि देते हुए अपने शोक संदेश में कहा कि एक ओर जहां मनुष्य ने मनुष्य को जाति, धर्म, रंग और नस्ल के आधार पर एक दूसरे से अलग रहने का खूब पाठ पढ़ाया वहीं कोरोना महामारी ने बिना किसी विभेद के इंसान की जान लेकर हमें बता दिया कि सभी मनुष्य एक हैं।
उन्होंने अपने संदेश में आगे कहा कि सभी धर्मानुयायियों के जान की रक्षा के लिये उनके धार्मिक अस्थलों को बंद करा दिया गया मगर इस विपदा और संकट की घड़ी में केवल सेवा ही एक धर्म बचा था जो सभी के काम आया। इस महामारी ने हमें इंसान से इंसान को अलग होने की पीड़ा का एहसास कराया तथा अमीरी और गरीबी के फर्क को मिटा दिया।
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इस अवसर पर वरिष्ठ समाज-सेवी विजय कुमार सिंह,पूर्व पार्षद बलराम चौधरी,अंजुमन-ए-मोहम्मदिया के अध्यक्ष मो.शमशाद,साबिर अली,एस वासिउद्दीन अहमद,देव रतन प्रसाद,अफाक़ सिद्दीकी, मो.बससु, मो.मुन्ना, मो.फ़िरोज़, मो.पिंकू, मो.रब्बानी, मो.खुर्शीद, नंहक राय, अली इमाम, मो.ताजुद्दीन, मो.अरशद, मो.साबिर, मो.मुमताज़, मो.नौशाद ने सभी दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि देते हुए उनके आकस्मिक निधन पर अपने रंज व ग़म का इज़हार किया। आयोजित सभा में भाग लेने आए सभी लोगों का धन्यवाद ज्ञापन आसिम सिद्दीकी ने किया।
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