भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) एवं असम के डिटेंशन कैंप में लोगों की हुई मौत के विरोध में इस वर्ष 06 नवंबर को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का एलान किया है।
भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने बताया कि असम के डिटेंशन कैंपों में अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके लिए पूरी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी जिम्मेवार है। श्री कुणाल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने असम के लगभग 19 लाख लोगों की नागरिकता को खतरे में डाल दिया है। इन लोगों को डिटेंशन कैंपों में डाला जा रहा है, जहां लोगों की लगातार मौतें हो रही हैं। उनकी पार्टी ने इसके खिलाफ 06 नवंबर 2019 को देशव्यापी प्रतिवाद मनाने का फैसला किया है।
भाकपा-माले के राज्य सचिव ने कहा कि इतना ही नहीं, भाजपा-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के लोग पूरे देश में एनआरसी थोपना चाहते हैं। हम भारत भर में एनआरएसी की योजना का पुरजोर विरोध करते हैं और नागरिकता संशोधन बिल को अविलंब वापस लेने की मांग करते हैं। श्री कुणाल ने कहा कि असम के डिटेंशन कैम्पों में एनआरसी की अंतिम सूची से पहले 25 लोगों की और उसके बाद दुलाल चंद्र पाल एवं फालू दास की मौतें हुईं। दुलाल पाल और फालू दास के परिवार ने उनके शव लेने से इंकार करते हुए कहा है कि यदि वे बंग्लादेशी थे, तो बांग्लादेश में उनके परिवार को तलाशिये, और शव को बांग्लादेश भेजिए। नहीं, तो मानिये कि वे भारत के नागरिक थे जिनकी हत्या सरकार द्वारा डिटेंशन कैम्प में हुई है।
सचिव ने कहा कि गृहमंत्री श्री शाह अब देश भर में एनआरसी लागू करवाने पर आमादा हैं, जिसमें हर किसी को कागजात के जरिए साबित करना होगा कि वर्ष 1951 में उनके पूर्वज भारत में मतदाता थे। उन्होंने कहा कि श्री शाह हर राज्य में डिटेंशन कैम्प खुलवा रहे हैं- महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल में ऐसे कैम्प बन रहे हैं।