दलित आंदोलन को धार देनेवाली गेल ओमवेट नहीं रहीं
आज आंबेडकर हर आंदोलन के बैनर में दिखते हैं। लेकिन 40-50 साल पहले ऐसी स्थिति न थी। गेल ओमवेट उन लोगों में हैं, जिन्होंने दलित आंदोलन को धार दी।
भारत में दलित आंदोलन की प्रमुख सिद्धांतकारों में एक तथा दलित-बहुजन आंदोलन के पग-पग पर साथ रही गेल ओमवेट नहीं रहीं। आज उनका निधन हो गया। वे 81 वर्ष की थीं। वे अमेरिका में जन्मी पर भारत को अपना कार्यक्षेत्र बनाया और पूरा जीवन दलित-बहुजन आंदोलन खड़ा करने, इस वर्ग की राजनीतिक, सामाजिक-आर्थिक बेहतरी के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
ओमवेट ने शादी भी भारत में की थी। उनके पति का नाम भारत पटनकर था। पटनकर के साथ मिलकर उन्होंने श्रमिक मुक्ति दल की स्थापना की थी। उन्होंने दलित आंदोलन, महिला आंदोलन पर कई किताबों भी लिखी हैं। वे अपने कॉलेज के दिनों में अमेरिका में युद्ध विरोधी आंदोलन में सक्रिय रहीं। बाद में पीएचडी के लिए वे भारत आईं। उन्होंने महात्मा फुले पर शोध किया। उनका शोधपत्र है-पश्चिम भारत में गैर ब्राह्मण आंदोलन।
इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने गेल ओमवेट के निधन पर लगातार तीन ट्वीट किए। कहा-ओमवेट का जाना बेहद दुखद है। वे जाति के खिलाफ सामाजिक सुधार कार्यकर्ता के बतौर पहचानी जाती हैं, लेकिन भारत में महिला आंदोलन पर भी शानदार काम किया और पुस्तक लिखी। किसान आंदोलन, पर्यावरण आंदोलन पर भी उन्होंने काफी कुछ लिखा है। उन्होंने समाजशास्त्र और इतिहास के बीच ती विभाजन रेखा को भी तोड़ दिया। उन्होंने लाइब्रेरी में भी समय बिताया और फील्ड में लोगों के बीच भी रहीं।
बहुजन विचारक दिलीप मंडल ने कहा-भारत में बहुजन, बौद्ध, श्रमिक और नारीवाद आंदोलन की इतिहास लेखक, हम सबकी बेहद प्रिय, प्रखर चिंतक, विचारक, ज्ञानवंत, मान्यवर कांशीराम की वैचारिक सहयोगी प्रोफ़ेसर गेल ऑम्वेट नहीं रहीं।
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सुमित चौहान ने लिखा-ओह ! गेल ओमवेट साहिबा का जाना बहुजन समाज के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। आंबेडकरवादी लेखन में महान योगदान देने वाली #GailOmvedt जी को आखिरी जय भीम। हंसराज मीणा ने लिखा-बहुजनवादी लेखिका, रिसर्चर, स्कॉलर, डॉ. गेल ओमवेट के निधन की खबर अत्यंत दुखद है। आंबेडकर, फुले की विचारधारा को देशभर में फैलाने व बहुजन मूवमेंट को मजबूत बनाने के लिए समाज आपके क्रांतिकारी कार्य का सदैव आभारी रहेगा। डॉ. गेल ओमवेट को नमन और भावपुर्ण श्रद्धांजलि। जय भीम।