तीसरे बच्चे को नहीं मिले सरकारी नौकरी, अदालत ने केंद्र से पूछा बताइए आपकी क्या है राय
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि सरकारी नौकरी, सहायता व सब्सिडी का लाभ लेने के लिए उसका दो बच्चे की शर्त पर क्या रुख है.
भाजपा नेता ने याचिका दायर कर कहा है कि देश में विस्फोटक होती जनसंख्या को नियंत्रण में लाने के लिए जरूरी है कि सरकार टू चाइल्ड नार्म का पालन करे. यानी सरकारी सहायता, नौकरी या अन्य लाभ सिर्फ दो बच्चों तक सीमित कर दिया जाये.
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अगर सरकार इस मामले में सकारात्मक रवैया अपनाती है तो संभव है कि दो बच्चों से ज्यादा वाले माता-पिता के बच्चे को तीसरी या उससे आगे की संतान को सरकारी नौकरी से वंचित होना पड़े, चाहे वह संतान किसी नौकरी को प्राप्त करने की योग्यता भी रखती हो तो उसे वह नौकरी नहीं मिलेगी.
गौरतलब है कि अटल बिहार वाजपेयी की सरकार ने संविधान समीक्षा आयोग का गठन किया था. वेंकट चलैया के नेतृत्व में गठित इस आयोग ने दो साल के काम के बाद सिफारिश की थी कि संविधान में संशोधन करके जनसंख्या नियंत्रण का कानून लाया जाना चाहिए.
याद रहे कि पिछले कुछ दिनों से जनसंख्या नियंत्रण के अनेक सुझाव देिये जा रहे हैं. हाल ही में बाबा राम देवे ने कहा था कि दो से ज्यादा बच्चे जिस परिवार में हों उन परिवारों के तीसरे बच्चे को वोट के अधिकार से वंचित किया जाना चाहिए.
गौरतलब है कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें केंद्र सरकार से जनसंख्या नियंत्रण के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग की गई है। याचिका मंगलवार को भाजपा के नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की।
एनसीआरडब्ल्यूसी ने संविधान में अनुच्छेद 47 ए शामिल करने और जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था।