डॉ. कफील ने योगी को लिखा पत्र, देशभर से मिला समर्थन
डॉ. कफील खान को कौन नहीं जानता। 2017 में आक्सीजन की कमी का मुद्दा उठाया। तब जेल मिली। अब फिर योगी को लिखा पत्र। कहा-कोरोना पीड़ितों की सेवा करना चाहता हूं।
चार साल पहले बीआरडी मेडिकल कॉलेज एंड हास्पिटल, गोरखपुर में आक्सीजन की सप्लाई कम होने से 70 बच्चों की मौत हो गई थी। तब शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ कफील ने बाहर से ऑक्सीजन खरीदकर बच्चों की जान बचाई थी। वे नायक के बतौर चर्चित हुए, लेकिन बाद में उन्हें इलाज में लापरवाही के नाम पर गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें नौ महीने जेल में रहना पड़ा। उनके परिवार को त्रासदी झेलनी पड़ी। बेल होने के बाद भी नए-नए मुकदमे करके उन्हें जेल में ही रखा गया।
अब कोविड-19 के सामने सरकारी व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई है। पूरे यूपी में हाहाकार है। इस स्थिति में एकबार फिर डॉ कफील खुद को बीमारों की सेवा के लिए समर्पित करना चाहते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर उनका सस्पेंशन खत्म करने का अनुरोध किया है, ताकि वे कोरोना पीड़ितों की मदद कर सकें।
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डॉ कफील ने लिखा है कि उप्र में कोरोना वायरस के कारण त्राहि-त्राहि मची है। मेरा आईसीयू में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव शायद कुछ जिंदगियां बचाने में काम आ सके। विनम्र निवेदन है कि कोरोना महामारी में देश की सेवा करने का अवसर दें। 22 अगस्त, 2017 से निलंबित हूं।
डॉ कफील ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि उसी केस में अन्य निलंबित डॉक्टरों का निलंबन बहुत पहले समाप्त कर दिया गया है। लेकिन मेरे 36 से अधिक पत्र लिखने पर भी अधिकारी मेरा निलंबन समाप्त नहीं कर रहे हैं।
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मालूम हो कि विभिन्न जांच एजेंसियों सहित इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने भी डॉ कफील को दोषमुक्त करार दे दिया है। डॉ कफील के अनुरोध को देशभर से समर्थन मिल रहा है। छात्र संगठन आइसा ने ट्विट किया-डॉ कफील ने आक्सीजन की कमी का मुद्दा उठाया, तो भाजपा और आईटी सेल ने उन्हें जेल भिजवा दिया। आज पूरा उत्तर भारत आक्सीजन की कमी का सामना कर रहा है।
डॉ. कफील ने चार साल पहले आक्सीजन का मुद्दा उठाया था। अगर उस समय मामले को धार्मिक रंग देने के बजाए डॉ कफील की बातों पर ध्यान दिया जाता, तो आज इस तरह ऑक्सीजन की कमी से लोग टपाटप नहीं मरते। आज मरनेवालों में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जिन्हें ऑक्सीजन नहीं मिली।