एक पैर से 1 KM पैदल चल स्कूल जाती हैं सीमा, सपना टीचर बनना

एक पैर से 1 KM पैदल चल स्कूल जाती हैं सीमा, सपना टीचर बनना

जमुई की सीमा एक पैर होने के बावजूद रोज स्कूल जाती हैं। एक पैर से चलना कठिन है, फिर भी हिम्मत न हारीं। बुधवार को डीएम ने दी ट्राईसाइकिल।

दीपक कुमार,
बिहार ब्यूरोचीफ

पटना : बिहार के जमुई की सीमा बड़ी होकर टीचर बनना चाहती है। उसके हौसले के आगे मुसीबतों ने भी हार मान ली है। एक पैर से एक किलोमीटर पैदल चल कर सीमा रोजाना स्कूल जाती है, और मन लगाकर पढ़ना चाहती है। वो टीचर बनकर अपने आसपास के लोगों को शिक्षित करना चाहती है।

सीमा खैरा प्रखंड के नक्सल प्रभावित इलाके फतेपुर गांव में रहती है। उनसे पिता का नाम खिरन मांझी है। सीमा की उम्र 10 साल है। 2 साल पहले एक हादसे में उसे एक पैर गंवाना पड़ा था। इस हादसे ने उसके पैर छीने लेकिन हौसला नहीं। आज अपने गांव में लड़कियों के शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रति एक मिसाल कायम कर रही है। वह अपने एक पैर से चलकर खुद स्कूल पहुंचती है और आगे चलकर शिक्षक बनकर लोगों को शिक्षित करना चाहती है।

दो साल पहले गंवाया था पैर

दरअसल, सीमा 2 साल पहले गांव में ही एक हादसे का शिकार हो गई थी. उसकी जान बचाने के लिए डॉक्टर ने उसका एक पैर काट दिया था. दो साल पहले यह बच्ची एक ट्रैक्टर की चपेट में आ गई थी, जिसमें उसके एक पैर में गंभीर चोटें आई थीं. सीमा को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टर ने उसकी जान बचाने के लिए जख्मी पैर को काट दिया था. ठीक होने के बाद यह बच्ची एक पैर से ही अपना सारा काम करती है. यहां तक कि वह एक पैर पर घंटों खड़ी भी रहती है.

माता-पिता करते हैं मजदूरी

फतेहपुर गांव के सरकारी स्कूल में चौथी कक्षा की छात्रा सीमा के माता-पिता मजदूरी करते हैं. उसके पिता खीरन मांझी दूसरे प्रदेश में मजदूरी करते हैं. पांच भाई-बहन में एक सीमा किसी पर अब तक बोझ नहीं बनी है. एक पैर होने के बावजूद सीमा में पढ़ने-लिखने का जुनून है. यही कारण है कि शारीरिक लाचारी को भुलाकर यह बच्ची बुलंद हौसले के साथ स्कूल जा रही है. पगडंडी पर जिस तरह से चलकर यह बच्ची स्कूल जाती है उसे देख सब हैरान हो जाते हैं. दिव्यांग सीमा का कहना है कि उसके मां-बापू मजदूर हैं. वे पढ़े-लिखे भी नहीं हैं. वह पढ़-लिखकर काबिल बनना चाहती है. यही कारण है कि सीमा ने जिद कर स्कूल में नाम लिखवाया और हर दिन स्कूल पढ़ने जाती है. वह टीचर बनना चाहती है, ताकि परिवार की मदद कर सकें।

एक किलोमीटर पैदल चल कर जाती है स्कूल
आज सीमा हर दिन 1 किलो मीटर पगडंडी रास्ते पर अपने एक पैर से चलकर स्कूल जाती है। सीमा बताती है कि वह पढ़ लिखकर टीचर बनाना चाहती है। टीचर बनकर के घर के और आसपास के लोगों को पढ़ाना चाहती है। सीमा बताती है कि एक पैर कट जाने के बाद भी कोई गम नहीं है। मैं एक पैर से ही अपने सारे काम कर लेती हूं।

क्‍या कहते हैं टीचर?

मध्य विद्यालय फतेहपुर के शिक्षक गौतम कुमार गुप्ता का कहना है कि दिव्यांग होने के बाद भी सीमा एक पैर से पगडंडियों के सहारे स्कूल आती है. उन्‍होंने बताया कि दिव्‍यांग होने के बावजूद चौथी क्‍लास की छात्रा सीमा अपना काम खुद करती हैं. बुलंद हौसले वाली बच्ची सीमा की मां बेबी देवी ने बताया को वे लोग गरीब हैं. गांव के बच्चे को स्कूल जाते देख सीमा ने भी जिद की थी, जिसके कारण स्कूल में नाम लिखवाना पड़ा. उन्‍होंने बताया कि उनके पास उतने पैसे भी नहीं हैं कि वह अपनी बेटी के लिए क‍िताबें खरीद सकें, लेकिन स्कूल के शिक्षक सब मुहैया करवा रहे हैं. उन्‍हें अपनी बेटी पर गर्व है.

सीमा के हौसले को देखकर गांव के लोग भी दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। गांव वाले कहते हैं कि सीमा दिव्यांग होने के बावजूद भी आत्मविश्वास से भरी हुई लड़की है। उसकी इस हौसले को देखकर गांव के लोग भी आश्चर्य चकित है।

मुस्लिम पिछड़ों की भी गिनती हो : बैकवर्ड मुस्लिम मोर्चा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*