सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नया इतिहास रच दिया। SBI को आदेश दिया कि वह 12 मार्च को शाम पांच बजे से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी कोर्ट में जमा करे। ऐसा नहीं करने पर कोर्ट न्यायालय की अवमानना का केस चलाएगा। इस फैसले से पूरी भाजपा सरकार हिल गई है। अब वो सारी जानकारी देश की जनता जान पाएगी कि किस कंपनी भाजपा को चंदे के रूप में कितने करोड़ दिए। किस कंपनी पर कब छापा पड़ा और उसके बाद उसने भाजपा को कितनी राशि दी। जैसे ही यह जानकारी सामने आएगी, भाजपा की जमीन खिसक सकती है। उसे जवाब देना मुश्किल हो जाएगा।

एसबीआई ने केंद्र की मोदी सरकार को बचाने की भरसक कोशिश की। कोर्ट ने छह मार्च को जानकारी देने को कहा था। एसबीआई ने सिर्फ एक दिन पहले अपील जारी करके 30 जून तक का समय मांगा, ताकि लोकसभा चुनाव संपन्न हो जाए। लेकिन कोर्ट ने कोई बहानेबाजी नहीं सुनी और आज यह कड़ा आदेश दे दिया। यही नहीं कोर्ट ने एसबीआई से हलफनामा भी दर्ज कराया कि बैंत मंगलवार को दफ्तर बंद होने से पहले शाम पांच बजे तक सारी जानकारी उपलब्ध कराएगा। कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी आदेश दिया है कि वह 15 मार्च से पहले सारी जानकारी अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करे। याद रहे कोर्ट ने पहले ही कहा था कि देश के नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया। किस पार्टी ने किससे चंदा लिया। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने यह फैसला दिया है।

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सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कांग्रेस ने भाजपा पर तीखा हमला बोल दिया है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा इलेक्टोरल बॉन्ड प्रकाशित करने के लिए SBI द्वारा साढ़े चार महीनें माँगने के बाद साफ़ हो गया था कि मोदी सरकार अपने काले कारनामों पर पर्दा डालने की हर संभव कोशिश कर रही है। आज के माननीय सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से देश को जल्द इलेक्टोरल बॉन्ड से भाजपा के चंदा देने वालों की लिस्ट पता चलेगी। मोदी सरकार के भ्रष्टाचार, घपलों और लेन-देन की कलई खुलने की ये पहली सीढ़ी है। अब भी देश को ये नहीं पता चलेगा कि भाजपा के चुनिंदा पूँजीपति चंदाधारक किस-किस ठेके के लिए मोदी सरकार को चंदा देते थे, उसके लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट को उचित निर्देष देने चाहिए। मीडिया रिपोर्ट्स से ये तो उजागर हुआ ही है कि भाजपा किस तरह ED-CBI-IT रेड डलवाकर जबरन चंदा वसूलती थी। सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला पारदर्शिता, जवाबदेही, और लोकतंत्र में बराबरी के मौक़े की जीत है।

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