पूर्व आईएएस मनीष वर्मा कल मंगलवार को जदयू में शामिल होंगे। बड़ा सवाल यह है कि क्या जदयू के पुराने और दिग्गज नेता उन्हें नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी मान लेंगे? मनीष वर्मा नीतीश कुमार की जाति कुर्मी से ही आते हैं और नालंदा जिला के ही रहने वाले हैं। उन्होंने वीआरएस ले लिया है और अब उनका सक्रिय राजनीति में आना तय माना जा रहा है। चर्चा है कि नीतीश कुमार उन्हें पार्टी में कोई बड़ा पद दे सकते हैं।
पूर्व आईएएस मनीष वर्मा की रह-रह कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी के रूप में चर्चा होती रही है। जदयू सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उन्हें जदयू संसदीय दल का नेता अथवा कोई बड़ी जिम्मेदारी दीजा सकती है। यह पूछे जाने पर कि क्या नीतीश कुमार के साथ दो-तीन दशक से काम कर रहे उन्हीं की बिरादरी के पुराने नेता मनीष वर्मा को अपना नया नेता मान लेंगे, तो सूत्रों का कहना है कि नहीं। वे नीतीश कुमार की जगह नहीं ले सकते। पार्टी में श्रवण कुमार जैसे नेता भी है, जो कुर्मी जाति से हैं और नालंदा के ही रहने वाले हैं। वे दशकों से नीतीश कुमार के साथ रहे हैं। ऐसे नेता खुद को छला हुआ महसूस कर सकते हैं।
इस बीच नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार को राजनीति में लाने की आवाज उठी है। नीतीश कुमार के रिश्तेदार भी चाहेंगे कि निशांत कुमार राजनीति में आएं। ऐसे लोग भी मनीष कुमार को आसानी से नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी नहीं मान सकते।
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दरअसल नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को देखते हुए उनके उत्तराधिकारी की चर्चा छिड़ती रही है। जदयू समर्थकों में नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर चिंता रही है। शायद इसीलिए पार्टी नेतृत्व का एक हिस्सा मनीष वर्मा को आगे करके यह बताना चाहता है कि जदयू के भविष्य को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। अगले साल बिहार विधानसभा चुनाव है। पार्टी चाहती है कि उससे पहले मनीष वर्मा को आगे कर दिया जाए, लेकिन इससे असंतोष बढ़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। पार्टी में खेमेबाजी भी बढ़ सकती है।
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