UP में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू होते ही दर्ज हुआ पहला केस

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल द्वारा हस्ताक्षर किये जाने के कुछ ही घंटे में धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर लिया है.

UP में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू होते ही दर्ज हुआ पहला केस

अब यह सवाल उठने लगा है कि कानून बनने के इंतजार में इस मामले में केस को रोक के तो नहीं गया था. और क्या यह कानून लागू होते ही इसका दुरुपयोग तो नहीं शुरू हो गया.

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आज रविवार को बरेली में एक 20 वर्षीय महिला के पिता ने 22 वर्षीय युवक ओवैस अहमद पर जबरन शादी के लिए दबाव बनाने और धर्म परिवर्तन करने के लिए दबाव की शिकायत करते हुए केस दर्ज कराया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि यह मामला देवरनिया थाने में दर्ज किया गया है. पुलिस ने गैरकानूनी तरीके से धर्मांतरण कराने ( Love Jihad) के प्रयास करने ( 3-5) का मामला बनाते हुए केस दर्ज किया है. साथ ही आईपीसी की धारा 504 व 506 भी लगाया गया है.

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पुलिस का कहना है कि युवक नियमित रूप से महिला के घर आया करता था. वह परिवार वालों को धमकी भी देता था.

हालांकि इस मामले में युवक के पक्ष को टाइम्स ऑफ इंडिया ने बिल्कुल ही नजर अंदाज कर दिया है और उसका बयान कोट नहीं किया गया है.

गौरतलब है कि गैरकानूनी तरीके से धर्मांतरण करने और शादी के नाम धर्म परिवर्तन कराने के विरोध में उत्तर पर्देश सरकार की कैबिनेट 24 नवम्बर को ही प्रस्ताव पारित किया. राज्य पाल ने इस कानून पर 28 नवम्बर को ही दस्तखत किये और इसी दिन यह पहला केस दर्ज किया गया है.

विशोषज्ञों का कहना है कि इस कानून का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग होने की संभावना है. क्यों कि कई परिवार ऐसे हैं जो अंतरधार्मिक शादियों के धुर विरोधी हैं और वे अपने बच्चों पर दबाव डाल कर इस कानून के तहत केस दर्ज करवा सकते हैं.

इस कानून के तहत आरोपी को गैरजमानती धाराओं के तहत गिरफ्तार करने का प्रावधान है साथ ही प्रमाणित हो जाने पर दस साल तक की सजा और 50 हजार रुपये तक जुर्माना भी किया जा सकता है.

पुलिस ओवैस अहमद की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित कर चुकी है.

By Editor