राज्यपाल फागू चौहान ने आज कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने के लिए आज सभी को संकल्प लेना चाहिए।
श्री चौहान ने राजभवन के दरबार हॉल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती के अवसर पर उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर अपना नमन निवेदित किया। साथ ही उन्होंने कार्यक्रम में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री की तस्वीर पर भी माल्यार्पण कर अपनी भावांजलि अर्पित की। इसके बाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा कि बापू के सपनों को साकार करने के लिए आज सभी को संकल्प लेना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा, “वस्तुतः राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयन्ती की ‘150वीं वर्षगांठ’ आयोजित कर हम गांधीजी के आदर्शों में अपनी आस्था प्रकट करने के साथ-साथ, मौजूदा ज्वलंत समस्याओं के समाधान तलाशने के लिए पुनः उनकी शरण में जाना चाहते हैं। बापू कहा करते थे कि उनका जीवन-दर्शन अलग से कोई दार्शनिक सिद्धांत या ‘वाद’ नहीं है, बल्कि यह तो जीवन में सत्य के आधार किए गये उनके प्रयोगों का ही सार-तत्व है। वे साफ-साफ कहते थे कि मेरा जीवन ही मेरा सिद्धांत है” श्री चैहान ने कहा कि गांधीजी ने अपने कर्मों के माध्यम से ही सम्पूर्ण मानवता को संदेश दिया। वह संदेश चाहे सत्य-अहिंसा का हो, स्वदेशी का हो, नैतिक मूल्यों का हो, स्वच्छता का हो, ग्राम-स्वराज का हो, नशा उन्मूलन का हो, भारतीय संस्कृति से जुड़ी शिक्षा व्यवस्था का हो या दलित उद्धार एवं अन्य सामाजिक सुधार के कार्यक्रमों का हो। गांधीजी ने अपने सभी सिद्धांतों और विचारों को अपने आचरण में उतारकर उसकी व्यावहारिकता भी सिद्ध कर दी थी।
राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रपिता ने स्वच्छता और सफाई पर बहुत जोर दिया था। वे स्वावलम्बन के सिद्धांत पर विश्वास करते थे। इस मौके पर उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद्, हैदराबाद द्वारा प्रकाशित बापू के स्वच्छता एवं जल-संरक्षण विषयक विचारों से संबंधित कार्य-योजनाओं की नियमावली से संबंधित दो पुस्तकें ‘जलशक्ति कैम्पस और जलशक्ति ग्राम’ तथा ‘स्वच्छ कैम्पस’ को लोकार्पित भी किया।
श्री चौहान ने कहा कि लोकार्पित पुस्तकों के आलोक में सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को स्वच्छता, सफाई एवं जल-संरक्षण के लिए संकल्पित होने को कहा जाएगा। यह अभियान शिक्षकों, छात्रों-छात्राओं के सामूहिक प्रयासों से ही सफल होगा। उन्होंने कहा कि स्वच्छता, सफाई, जल-संरक्षण जैसे बापू के संदेशों को अपने जीवन में उतार कर ही बापू की 150वीं जयन्ती वर्षगांठ पर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकेगी।