‘गणेश परिक्रमा’ नहीं, जनता में जाएं, मुद्दों पर लड़ें : तेजस्वी

राजद के दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर की समाप्ति पर तेजस्वी यादव का पूरा जोर जनता के बीच जाने, परेशानी सुनने और उसे दूर करने पर रहा। विचारधारा भी बताई।

कुमार अनिल

आज हर आदमी बहुत जल्दी में है। राजनीति में भी हर कोई जल्द पद पा लेना चाहता है। जल्द विधायक-एमपी बनना चाहता है। इसे बोलचाल में ‘गणेश परिक्रमा’ कहते हैं। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने आज राजनीति में शॉर्ट-कट कल्चर का विरोध करते हुए अपना पूरा जोर जनता से जुड़ने, लोगों की समस्याओं को सुनने तथा उसे दूर करने के उपाय पर केंद्रित था। तेजस्वी ने अपनी विचारधारा भी दो शब्दों में सूत्रबद्ध की-धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय।

तेजस्वी यादव का पूरा जोर नया राजद बनाने पर है। उन्होंने यह भी कहा कि जो पद लेकर सिर्फ बैठे हैं, उन्हें हटाया जाएगा और काम करनेवाले को बुलाकर सम्मानित किया जाएगा। पद दिया जाएगा। तेजस्वी नीचे से पार्टी खड़ी करना चहता हैं। इस बात को उन्होंने कई तरह से समझाया।

तेजस्वी व्यक्ति पूजा का भी विरोध करते दिखे, जो आज की राजनीति की बड़ी बीमारी बन गई है। भाजपा इसका उदाहरण हैं। इसके विपरीत तेजस्वी ने कहा कि हम सबमें कमी है। कमियों को दूर करना है। गलतियों को समझकर दूर करना है।

उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में दक्षिण बिहार में हमारा प्रदर्शन अच्छा रहा, लेकिन उत्तर बिहार में हम वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाए। अपनी कमियों को पहचान कर उसे त्याग दें। पार्टी मजबूत होगी, तो हम सभी सीटों पर लड़ेंगे।

राजद कार्यकर्ता को पार्टी के इतिहास, उपलब्धियों, त्याग और संघर्ष की जानकारी रखनी चाहिए। पार्टी कार्यालय में पुस्तकालय भी खोला जाएगा। कहा, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय हमारी विचारधारा है।

प्रशिक्षण शिविर को प्रदेश राजद अध्यक्ष जगदनानंद सिंह, शिवानंद तिवारी, अब्दुलबारी सिद्दीकी, श्याम रजक, चितरंजन गगन सहित अनेक नेताओं ने संबोधित किया।

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