गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी में गैस, लीवर में चर्बी और कब्ज आम रोग: डॉ. रमेश
डॉ. रमेश कुमार एम्स, पटना में गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष हैं। एडवांटेज केयर मिशन हेल्थ की पहल के तहत आज पढ़िए डॉ रमेश का इंटरव्यू।
डॉ. रमेश कुमार एम्स, पटना में गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष हैं। इन्होंने पीएमसीएच से एमबीबीएस किया है। उसके बाद पीजीआई, चंडीगढ़ से एमडी (मेडिसिन)की डिग्री हासिल की। ये सुपर स्पेशियलिटी( डॉक्टोरेट इन मेडिसिन) एम्स, दिल्ली से की है। इनका शोध का विषय लीवर में चर्बी और लीवर के फेल होने पर रहा है। वर्ष 2008 में पढ़ाई पूरी करने के बाद आईएलबीएस (दिल्ली) में तीन वर्ष सेवा दी। उसके बाद पटना आ गए। पारस एचएमआरआई(पटना) में वर्ष 2017 तक सेवा देने के बाद एम्स, पटना ज्वाइन किया। डॉ. रमेश मूल रूप से जमुई के रहनेवाले हैं।
प्रश्न : शरीर के किस-किस अंग में समस्या होने पर गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट से मिलना चाहिए?
उत्तर: पेट, आंत, लीवर, पेन्क्रीयाज, पीत की थैली आदि में समस्या होने पर हमें गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिए। ये भी कह सकते हैं कि किडनी को छोड़ पेट की हर समस्या का इलाज गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट करते हैं।
प्रश्न : इंडोस्कोपी अल्ट्रासाउंड क्या होता है?
उत्तर: सामान्य अल्ट्रासाउंड से कई बार पेट की समस्या पता नहीं चल पाता है या पूरी स्थिति का अंदाजा नहीं मिल पाता है। ऐसे में इंडोस्कोपी अल्ट्रासाउंड जांच की सहायता ली जाती है। इस जांच में इंडोस्कोपी प्राब को मरीज के खाने की नली में डाला जाता है ताकि पेट या आंत की समस्या का सही-सही और 100 प्रतिशत जानकारी मिल सके। आंत के कैंसर का पता इसी जांच से चलता है। इंडोस्कोपी अल्ट्रासाउंड बीमारी का स्टेजिंग भी कर देता है। यदि ट्यूमर है तो जांच के लिए ट्शिू इसी से निकाला जाता है।
प्रश्न : क्या इस जांच में दर्द होता है?
उत्तर: यह पूर्णत: दर्द रहित नहीं ही होता है। इसलिए इस जांच के लिए मरीज को नींद की सूई दी जाती है ताकि आसानी से जांच किया जा सके।
प्रश्न : गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी बीमारी के क्या-क्या मुख्य लक्षण होते हैं?
उत्तर: पेट दर्द, उल्टी, गैस बनना, कब्ज, पीलिया, स्टूल या उल्टी में खून का आना आदि गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी बीमारी के मुख्य लक्षण होते हैं। थकान, वजन घटना आदि भी गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। लेकिन यह लक्षण कई दूसरी बीमारियों में भी होता है।
प्रश्न: किन बीमारियों के सबसे ज्यादा मरीज गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी में देखे जाते हैं?
उत्तर: लीवर में चर्बी, गैस और कब्ज की समस्या सबसे आम है। इसके मरीज सबसे ज्यादा आते हैं।
प्रश्न: लीवर को चर्बी से बचाने के लिए क्या किया जाना चाहिए?
उत्तर: मोटापा नियंत्रण, कम कैलोरी का भोजन और व्यायाम से इस बीमारी को नियंत्रित रखा जाता है। इसलिए रोज एक घंटा टहले। यदि रक्तचाप, डायबिटीज, कॉलेस्ट्राल, थायरॉयड है तो इसे नियंत्रित रखें। लीवर की चर्बी को शारीरिक श्रम व नियंत्रित भोजन से खत्म किया जाता है। हाई कैलोरी भोजन में मिठाई, तला हुआ सामान, अत्यधिक मांस-मछली आदि शामिल होता है।
प्रश्न: कोई कैसे पहचाने कि उसे कब्ज की बीमारी है?
उत्तर:भारत के परिपेक्ष्य में देखा जाए तो यदि किसी को सप्ताह में पांच दिन से कम शौच होता है तो कब्ज है, अन्यथा परेशान होने की बात नहीं है। कई लोग कहते हैं कि उन्हें शौच होता है, लेकिन साफ नहीं होता है। यह भी कब्ज के ही लक्षण है। जब शौच का एहसास नहीं हो तो जबर्दस्ती जोर लगाकर शौच नहीं करनी चाहिए। इससे आंत कमजोर होता है।
प्रश्न: कब्ज न हो, इसके लिए लोग क्या करें?
उत्तर: फाइबर युक्त खाना लें। जैसे-सलाद, हरी सब्जियां आदि। रोज व्यायाम करें। पानी भरपूर पीएं। रोज कम से कम तीन लीटर पानी पीएं। थायरॉयड और उच्च रक्तचाप से भी कब्ज होता है। इसलिए इसे नियंत्रित रखें।
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प्रश्न: पाचन क्रिया से जुड़ी कौन-कौन सी बीमारियां होती हैं?
उत्तर: खाना नहीं पचना, गैस, शौच में अनियमितता, शौच चिपचिपा होना, शौच में खाना का दाना आना आदि पाचन क्रिया के ठीक नहीं होने के मुख्य लक्षण होते हैं।
प्रश्न: लोगों में गैस की समस्या काफी ज्यादा देखी जाती है। क्यों ऐसा होता है?
उत्तर: लोग गैस और एसिडिटी को मिला देते हैं, जबकि दोनों दो चीज है। जब पेट में जलन हो तो यह एसिडिटी है। पाचन क्रिया में गड़बड़ी से गैस की समस्या होती है। बहुत खा लेने से भी यह दिक्कत होती है। क्योंकि कई बार खाना का पचाने के लिए एंजाइम पर्याप्त नहीं बन पाता है। दूध पीने से भी गैस की समस्या कई लोगों में होती है। दूध पचाने के लिए लैक्टेस एंजाइम चाहिए। यह कम होता है। उम्र के साथ यह कम बनता है। इसलिए दूध पीेने के बाद कई लोगों को गैस की समस्या होती है। इसलिए हमलोग मरीजों को कम मात्रा में दूध लेने की सलाह देते हैं। बैक्टिरिया के बनने से भी गैस बनता है। इसलिए गरिष्ट भोजन से बचें।
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प्रश्न: पेट में बैक्टिरियल इंफेक्शन की कैसे पहचान की जा सकती है?
उत्तर: पेट दर्द करना, पतला पैखाना, उल्टी आदि बैक्टिरियल इंफेक्शन के मुख्य लक्षण हैं। इंफेक्शन अधिक होने पर कई बार बुखार भी आ जाता है। यदि बड़ी आंत में इंफेक्शन है तो शौच के साथ चिपचिपा पदार्थ निकलता है।
प्रश्न: कौन सा खाद्य पदार्थ पाचन क्रिया के लिए अच्छा नहीं होता है?
उत्तर: यह तो मरीज पर निर्भर करता है। लेकिन गरिष्ट भोजन, मांसाहार, तला हुआ खाना आदि पचने में दिक्कत करता है। कुछ लोगों को दूध भी नहीं पचता है। फल में आम भी भारी खाना होता है।
प्रश्न: क्या तनाव से भी गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी की समस्या हो सकती है?
उत्तर: जो बहुत तनाव में रहते हैं उनमें पेट की समस्या होती है। इसलिए जब जांच में पेट में कोई बीमारी नहीं निकलता है तो हमलोग मरीज को सलाह देते हैं कि वो पेट की ओर से अपना ध्यान हटाएं।
प्रश्न: शौच में खून आने के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर: यदि खून शौच में मिक्स नहीं है और सिर्फ बाहर-बाहर रहता है तो यह बावासिर का लक्षण है। शौच के बाद खून टपकना भी बावासिर का लक्षण होता है। लेकिन यदि शौच के साथ खून मिला हुआ है तो यह पेट व आंत के कई बीमारियों का लक्षण हो सकता है।
प्रश्न: क्या रेड मीट खाने से भोजन की नली के कैंसर का खतरा होता है?
उत्तर: इसको लेकर अभी कोई प्रामाणिक तथ्य मौजूद नहीं है।
प्रश्न: लीवर कैंसर के बारे में बताएं।
उत्तर: अधिक शराब पीने या लीवर में चर्बी हो जाने से लीवर कैंसर की आशंका होती है। हेपेटाइटिस बी या सी से भी लीवर कैंसर होने की आशंका रहती है। यदि शुरुआती समय में बीमारी का पता चल जाए तो इलाज संभव है।