गुजरात चुनाव परिणा घोषित होने के पहले में 9 एक्जिट पोल सामने आये थे .इनके अनुमानों को देखने से पता चलता है 8 सर्वे तुक्केबाजी साबित हुए हैं. तो क्या जिस 9 वें चैनल की बात सही साबित हुई उसकी तुक्केबाजी बाइडिफाल्ट सही हो गयी? पढ़िये हमारे सम्पादक इर्शादुल हक का विश्लेषण
अगर 9 एजेंसियों और न्यूज चैनलों में से एक का अनुमान चुनाव परिणाम के करीब होना, क्या ऐसा ही जैसे किसी की तुक्केबाजी सही हो गयी. 18 दिसम्बर को परिणाम आने के एक दिन पहले जिन 9 न्यूज चैनलों ने गुजरात चुनाव पर एक्जिट पोल पेश किये उनका अब गौर से विश्लेषण करने की जरूत है. ताकि इन सर्वेक्षणों की हकीकत का पता चल सके. आइए एक एक कर इन एक्जिट पोल पर गौर करते हैं. लेकिन उससे पहले हम वास्तविक चुनाव परिणाम पर नजर डाते हैं.
कुल सीट- 182, भाजपा को मिली 99 सीट. कांग्रेस को 80 सीट. निर्दलीय-3 सीट.
अब एक्जिट पोल पर नजर दौड़ायें.
न्यूज नेशन– इस चैनल ने अपने एक्जिट पोल में भाजपा को 120-133 सीटें मिलने का अनुमान लगाया. जबकि कांग्रेस को इसने 47 से 51 सीटों के बीच सीमित कर दिया. अब सोचने की बात है कि भाजपा को इस चैनल ने 21 से 36 सीटें ज्यादा दे दीं. इसी तरह कांग्रेस के हिस्से में इसने जो सीटें दिखाई वह वास्तविक परिणाम से 31 से 35 सीटों का फर्क है.
एबीपी-सीएसडीएस– इस चैनल के एक्जिट पोल में भाजपा को 112-122 सीटी दी गयी थी. जबकि कांग्रेस को इसने 60 से 68 सीटें मिलती दिखाई तीं. पोल अनुमान में इसने 13 से ले कर 23 सीटें भाजपा को मिलती दिखाई. जबकि कांग्रे को इसने वास्तविक परिणाम से 20 से 28 सीटें कम मिलती दिखाईं.
टाइम नाऊ वीएमआर– इस चैनल ने ऊपर के अन्य दो चैनलों से ज्यादा रिस्क लिया. इसने कमसे कम और ज्यादा से ज्यादा सीटें दिखाने के बजाये एक्जैक्ट आंकड़े दिखाते हुए भाजपा को 113 और कांग्रे को 66 सीटें दीं. जबकि वास्तविक परिणाम से इसके एक्जिट पोल में भाजपा को 14 सीटें कम आयी. जबकि 14 सीटें ज्यादा आईं.
रिपब्लिक सी वोटर- इसने भाजपा को 108 और कांग्रेस को 74 सीटें मिलती दिखाई थीं. जो वास्तविक परिणाम से अलग हैं.
न्यूज24-चाणक्य– इस चैनल के अनुमान सबसे बुरे रहे-इसने भाजपा को 135 सीटें दी जबकि कांग्रेस को महज 47 पर समेट के छोड दिया. मतलब वास्तविक परिणा के आईने में देखें तो भाजपा को मिले 99 सीटों से 36 ज्यादा.और कांग्रेस को मिली 80 सीटों का फिफ्टी प्रसेंट से कुछ ज्यादा सीटें इसने कांग्रेस को दीं.
आजतक-एक्सिस– भाजपा को इसने 99-113 सीटें दीं जबकि कांग्रेस को 68 से 82 सीटें दीं.वैसे भाजपा का एक्जिट पोल अन्य चैनलों के पोल से ज्यादा सटीक रहा, इसमें दो राय नहीं लेकिन इस चैनल ने भी कमसे कम और ज्यादा से ज्यादा के बीच एक फासला रख कर खुद को बचाये रखने की कोशिश की.
इंडिया टीवी- वीएमआर– 108-118 भाजपा को दी. जबकि कांग्रेस को 61-71 सीटें दीं.
निर्माण ने 104 भाजपा को दी जबकि कांग्रेस को 74 सीटें मिलती दिखाईं.
समय-सीएनएक्स- ने भी जो एक्जिट पोल दिखाया वह भी तुक्केबाजी ही लगी-इसने भाजपा को 110-120 सीटें दीं. जबकि कांग्रेस को 65 से 75 सीटें दीं.
कुछ महत्वपूर्ण सवाल-
एक्जिट पोल या किसी भी तरह के ट्रेंड की वास्तविकता का पता लगाने के लिए कुछ सैम्पल की बुनियाद पर कोशिश की जाती है कि सर्वेक्षण वैज्ञानिक हों. इसके तहत तमाम असेम्बली क्षेत्रों के हर वर्ग और हर उम्र व लिंग के लोगों की नुमाइंदगी सुनिश्चित की जाती है. कोशिश यह भी होती है कि ज्यादा से ज्यादा मतदान केंद्रों को टच किया जाये ताकि लोगों के रुझान की जायवर्सिटी को समझा जाये. एक असेम्बली क्षेत्र में अमूमन दो लाख के आसपास मतदाता होते हैं. कहीं कम, कहीं ज्यादा भी हो सकते हैं ऐसे में कोशिश होनी चाहिए कि सैम्पल का आकार इतना भी छोटा ना हो कि सर्वे गलत साबित हो जाये.
सवाल एक- ऐसे में ऊपर के तमाम 9 में से आठ सर्वे को देखें तो किसी भी सर्वे में जितनी सीटें कांग्रेस को मिलती दिखाई गयीं हैं उससे कहीं ज्यादा सीटें उसे वास्तविक नतीजे में मिले हैं. ऐसा क्यों हुआ? क्या सर्वे करने वालों ने यह पहले से तय कर रखा था? क्योंकि अगर सर्वे के परिणाम में किसी ने कांग्रेस के लिए जो अनुमान लगाये उससे ज्यादा सीटें मिली ही नहीं.
सवाल दो- किसी भी सर्वे को देख लें. आज तक को अपवाद मानते हुए. आठो सर्वे में भाजपा के लिए जो न्यूनतम अनुमान लगाये गये हैं उससे भी कम सीटें भाजपा को मिली हैं. आखिर ऐसा क्यों हुआ कि किसी भी सर्वे के न्यूनतम अनुमान से कम भाजपा को सीटें नहीं मिलीं. फिर यही सवाल है कि क्या पहले से यह दिमाग में तय कर लिया गया कि भाजपा को ज्यादा सीटें मिलती दिखानी है?
तीसरा सवाल– 9 में से कुल 9 सर्वे को गौर से देखिये. साफ दिखता है कि भाजपा को मैक्सिमम जितनी सीटें मिलती दिखाई गयीं हैं, उतनी सीटें उसे वास्तविक परिणाम में मिली ही नहीं. तो क्या भाजपा को मिलने वाली सीटों के अनुमान पेश करते समय यह तय मान लिया गया कि उसे ज्यादा सीटे ही मिलेंगी.
चौथा सवाल– ऊपर के आठ सर्वे को देखने से आभास होता है कि ये सर्वे वैज्ञानिक कम, और तुक्केबाजी पर ज्यादा केंद्रित हैं. ऐसे में आज तक के सर्वे को यह क्यों ना मान लिया जाये कि 9 में से आठ तुक्कों में से एक तुक्का सही हो गया ?
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