हफ्ते भर में बेरोजगारों ने फिर मचाया कोहराम, 25 लाख ट्विट
आज फिर देश ने देखा बेरोजगारों का उफान। नौजवानों ने ट्विटर को ही बनाया अपना सिंघु बॉर्डर। लेकिन क्या यह अभियान परिपक्व हो चुका है?
कुमार अनिल
पिछले 25 फरवरी को #modi_job_do नारे के साथ मिलियंस में ट्विट करने के बाद आज फिर देश के युवा #modi_jawab_do नारे के साथ कोहराम मचा रहे हैं। खबर लिखे जाने तक 25 लाख से ज्यादा ट्विट हो चुके थे।
युवाओं के इस अभियान ने देश की राजनीति का भी ध्यान खींचा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बेरोजगारों के इस अभियान का समर्थन किया। उन्होंने ट्विट किया-छात्रों के सवाल का, बेरोजगारी के इन सालों का, व्यवसायों में पड़े ताले का, आज हिसाब दो, मोदी जवाब दो। राहुल गांधी के इस ट्विट को सिर्फ चार घंटे में 50 हजार लाइक्स मिल चुके थे। 23 हजार रिट्विट हुए।
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बेरोजगारों के इस अभियान को देखकर समझा जा सकता है कि देश के युवा कितने परेशान हैं। तरह-तरह के आंकड़े, मीम्स, व्यंग्य, आलोचना देखने को मिल रही है। कबीर ने हिटलर को कोट किया है कि जनता को इतना निचोड़ दो कि वह जिंदा रहने को ही विकास समझे।
बिहार प्रदेश राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने मोदी जवाब दो अभियान का समर्थन करते हुए कहा कि बिहार के शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ ही अन्य पदों के लिए इंतजार कर रहे बेरोजगार युवकों का आंदोलन तेज होगा।
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इतने बड़े अभियान को देखकर क्या कहा जा सकता है कि बेरोजगारों का आंदोलन अब परिवपक्व हो चुका है? क्या यह सोशल मीडिया का आंदोलन सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव के लिए मजबूर करने में कामयाब होगा? सरकार तब किसी आंदोलन की बात सुनती है, जब वह आंदोलन राजनीतिक आंदोलन बन जाता है। इस मामले में अब भी यह अभियान मुद्दे पर ही आधारित है।
बेरोजगारों के अभियान से कहीं आगे जा चुका है किसान आंदोलन। किसान आंदोलन अब तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के मुद्दे से आगे बढ़कर पहले खेत बचाओ, फिर देश बचाओ आंदोलन में तेजी से तब्दील हो रहा है। किसान नेता देशव्यापी दौरा कर रहे हैं। किसानों के आंदोलन का एक केंद्र विकसित हो चुका है। अब जगह-जगह किसान खुलकर प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों पर हमले कर रहे हैं।
1974 में देश के युवा आगे थे। बाद में सबका समर्थन मिला। इस बार किसान आगे चल रहे हैं। देखना है कि बेरोजगारों का अभियान किस तरह राजनीतिक आंदोलन में तब्दील होता है।