हलद्वानी बनी शाहीनबाग, ठंड में हजारों महिलाएं उतरीं सड़क पर
हलद्वानी में 4500 मुस्लिम परिवारों के घरों पर बुलडोजर चलाने के निर्णय के खिलाफ अब महिलाओं ने मोर्चा संभाल लिया है। ठंड में मोमबत्तियां लेकर सड़क पर।
हलद्वानी में शाहीनबाग का नजारा दिख रहा है। हजारों महिलाएं भयानक ठंड की परवाह किए बिना सड़क पर उतर गई हैं। मंगलवार को देर शाम महिलाओं ने हाथों में मोमबत्तियां लेकर सड़क पर मौन जुलूस निकाला। उनकी मांग है कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए उनका आशियाना न उजाड़ा जाए। इस बीच कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आंदोलनकारियों के समर्थन में भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। उन्होंने कहा कि अतिक्रमण का जवाब बुलडोजर नहीं है। इसका समाधान मानवीय दृष्टि से किया जाना चाहिए।
बीजेपी की सरकार आते ही
— Alamgir Rizvi(عالمگیر رضوی) (@alamgirizvi) January 4, 2023
सीएए एनआरसी के जरिए मुसलमानों को बेदखल करने की पेशकश की गई
और कभी-कभी तीन तलाक मामले में उनके शरिया कानून में दखल दिया गया
और अब #हल्द्वानी में अतिक्रमण के नाम पर 5 हजार मुसलमानों को बेघर किया जा रहा है.#Islamophobia@washingtonpost @UN @UNHumanRights pic.twitter.com/bt30btVvBR
एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश से वादा किया था कि 2022 तक हर परिवार के सिर पर छत मुहैया करेगी सरकार। उन्हीं की सरकार उत्तराखंड में है और सरकार घर देने के बदले पहले से बसे लोगों को उजाड़ रही है।
जिस तरह हलद्वानी की हजारों महिलाएं सड़क पर पिछले तीन से प्रदर्शन कर रही हैं, उसे सोशल मीडिया पर काफी समर्थन मिल रहा है। टीवी चैनलों ने महिलाओं के इस प्रदर्शन को नकारात्मक रूप से पेश किया। एक चैनल ने महिलाओं के आंदोलन को लैंड (भूमि) जेहाद नाम दे दिया। उसी चैनल के पत्रकार जब कैमरा लेकर पहुंचे, तो आंदोलनकारियों ने गोदी मीडिया वापस जाओ का नारा दिया। भाजपा समर्थक आंदोलन के खिलाफ दुष्प्रचार में लग गए हैं।
गोदी मीडिया के विपरीत जन पक्षधर यूट्यूब चैनलों ने आंदोलन की आवाज को देशभर में फैलाया। उसके बाद लोकतांत्रिक संगठन समर्थन में उतरे। सबकुछ उसी तरह हो रहा है, जैसे शाहीनबाग आंदोलन के समय दिखा था। शाहीनबाग आंदोलन को देश के लोकतांत्रिक संगठनों ने भरपूर समर्थन दिया, वहीं भाजपा समर्थक आंदोलन के खिलाफ दुष्प्रचार करते रहे।
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