हेमंत के कारण झारखंड में भाजपा की वापसी की राह हुई कठिन
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ऐसे तीन काम किए, जिससे भाजपा की सत्ता में वापसी की राह कठिन हो गई है। साथ ही भाजपा का आंतरिक संकट भी बढ़ा।
कुमार अनिल
लगता है भाजपा के अच्छे दिन समाप्त हो गए हैं। उत्तर-पश्चिम के कई राज्यों में किसान आंदोलन ने भाजपा की जमीन खिसका दी है। उसके नेता उन प्रांतों के गांवों में जाने से घबरा रहे हैं। ममता बनर्जी ने बंगाल में बुरी तरह हराया। हार के बाद भाजपा में भगदड़ है। इधर, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में भाजपा की वापसी का दरवाजा लगभग बंद कर दिया है।
हेमंत सरकार ने रूपा तिर्की मौत मामले में न्यायिक जांच का आदेश देकर एक उदाहरण पेश कर दिया है। बिहार में दशकों से किसी न्यायिक जांच आयोग का गठन नहीं हुआ। न्यायिक जांच शब्द को लोग भूल चुके हैं। यूपी में तो आप कल्पना ही नहीं कर सकते। अधिक से अधिक सीबीआई जांच होती है, लेकिन हाल के वर्षों में उसकी भूमिका पर सवाल ज्यादा उठे हैं।
रूपा तिर्की मामले में न्यायिक जांच का आदेश देकर हेमंत सरकार ने भाजपा को हतप्रद कर दिया है।
हेमंत सोरेन के तीन ऐसे कार्य हैं, जिनसे भाजपा की वापसी मुश्किल हो गई है। बंगाल में भाजपा की हार की प्रमुख वजहों में एक है, उसका हिंदी पट्टी की संस्कृति को बंगाल पर थोपने की कोशिश। ममता के बंगाल की संस्कृति की रक्षा और बाहरी लोगों (भाजपा के बड़े नेता) से बंगाल को खतरे का जवाब भाजपा नहीं दे पाई। झारखंड में भी ऐसी ही स्थिति है। हेमंत के मुख्यमंत्री बनने से झारखंडी संस्कृति, यहां की भाषाओं को ताकत मिली है। हेमंत के लिए अलग से कोई दिखावा करने की जरूरत नहीं है। उनकी राजनीति के केंद्र में आदिवासी, उनकी संस्कृति और उनके अधिकार रहे हैं।
इस मोर्चे पर भाजपा के पास कोई जवाब नहीं है। संघ ने आदिवासियों में जिस संस्कृति का प्रचार किया, वह आदिवासियों की प्राचीन संस्कृति नहीं है। इस मोर्चे पर भाजपा स्वाभाविक नहीं हो सकती। उसके लिए मॉडल गुजरात, यूपी है। एक भाषा, एक संस्कृति विविधता के खिलाफ खड़ी हो जाती है।
ममता और टिकैत की हुई मुलाकात, भाजपा की भवें तनीं
हेमंत ने दूसरा कार्य गवर्नेंस के मामले में कर दिखाया है। एक ट्वीट पर आधी रात को प्रसासन को सक्रिय होना पड़ता है। ऐसा प्रयोग देश में सबसे मजबूती से हेमंत ने किया। इसका असर प्रसासन पर भी पड़ा है। दुमका की डीसी तमिलनाडु से लौटे मजदूरों की परेशानी जानने खुद जाती हैं। लोगों में भरोसा बना है कि हेमंत को मेसेज करने से कार्रवाई होगी, यह बड़ी बात है। हेमंत की कार्यशैली में लचीलापन दिखता है। वे जिद के बजाय सुधार करते दिखते हैं। रूपा तिर्की मामले में यही दिखता है।
चुनाव से पहले योगी के करीबी IAS बने चुनाव आयुक्त
हेमंत सोरेन का तीसरा कार्य अपने गठबंधन को एकजुट रखना है। यही नहीं, उन्होंने झारखंड के हितों के लिए प्रधानमंत्री की आलोचना से भी परहेज नहीं किया।
उधर, भाजपा का पिछला शासन ऐसा नहीं था, जिसे लोग दुहराना चाहें। कई पुल कुछ ही वर्षों में ध्वस्त हो गए। उसके पास हेमंत के जवाब में कोई नेता भी नहीं हैं। जो नेता हैं, वे गुटों के नेता हैं।