हिना शहाब को ले डूबेगी राजनीतिक महत्वाकांक्षा
2009, 2014, 2019 में राजद का टिकट पानेवाली शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब राज्यसभा नहीं भेजे जाने से नाराज हैं। उन्होंने खुद को राजद से अलग घोषित किया।
कई बार लोग अपनी ताकत के बारे में गलतफहमी का शिकार हो जाते हैं। हिना शहाब ने पता नहीं क्या सोचकर घोषणा कर दी कि वे अब राजद में नहीं हैं। कल रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि वे अब किसी पार्टी में नहीं हैं। साफ है उन्होंने राजद से खुद को अलग कर लिया है। राज्यसभा के टिकट बंटवारे के बाद सीवान में एक सभा हुई था, जिसमें हिना शहाब को राज्यसभा नहीं भेजे जाने पर खूब गरमा-गरम भाषण हुए थे। एक के बाद एक वक्ताओं ने कहा था कि पूरा बिहार हिना शहाब के साथ है। आप आगे बढ़िए।
इधर पूछनेवाले पूछ रहे हैं कि राजद ने उन्हें 2009, 2014 तथा 2019 में लोकसभा चुनाव में टिकट दिया। वे कभी जीत नहीं पाईं। तो क्या लोकसभा का टिकट भी उन्हें ही चाहिए और राज्यसभा में भी उन्हें ही भेजा जाए?
सवाल है कि क्या वे राजद से तोलमोल कर रही हैं या जदयू अथवा किसी अन्य पार्टी में जाने की भूमिका तैयार कर रही हैं। वे अगर राजद से बारगेनिंग कर रही हैं, दबाव की राजनीति कर रही हैं, तो भी इससे उन्हें कोई फायदा मिलने की संभावना नहीं है और हार कर फिर उन्हें उसी पार्टी में जाना होगा। अगर वे जदयू में जाना चाहती हैं और समझती हैं कि अगले चुनाव में जदयू से टिकट पाकर भाजपा और अन्य एनडीए दलों के सहयोग से लोकसभा पहुंचेंगी, तो यह रास्ता भी आसान नहीं है। दरभंगा के बड़े नेता फातमी आज कहां हैं? राज्य की राजनीति में उन्हें कोई याद भी कर रहा है क्या? हिना शहाब का कोई भी गलत निर्णय उनके बेटे का भी राजनीतिक भविष्य अंधकार में डाल देगा।
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