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चुनाव से पहले मुस्लिम जनसंहार का हो रहा षड्यंत्र?

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क्या यूपी चुनाव से पहले मुसलमानों का कत्ले आम होगा? क्या मुसलमानों के खिलाफ दंगा करा के हिंदुओं में घृणा की ज्वाला भड़का कर मोदी के सिंहासन को बचाया जायेगा?

‘हक की बात इर्शादुल हक के साथ’ में इसी विषय पर चर्चा करेंगे.

अगर आप भाजपा के चुनावी इतिहास पर गौर करें तो आप सरलता से समझ सकते हैं कि वह सत्ता की प्राप्ति के लिए किसी भी हद तक जा सकती है. राजनीतक शक्ति व सत्ता के लिए मुस्लिमों के खिलाफ नफरत भड़काने के दो प्रचलित मॉडल पिछले दशकों में सामने आये हैं. एक है राम मंदिर मॉडल और दूसरा है गुजरात मॉडल. 80 के दशक में अयोद्ध्या के राम मंदिर मॉडल के सहारे भारतीय जनता पार्टी लोकसभा में दो सीटों से बढ़ते-बढ़ते 300 सीटों तक पहुंच गयी. जबकि गुजरात मॉडल हिंसा के सहारे वह पिछले 20 वर्षों से गुजरात की सत्ता में है. गुजरात मॉडल हिंसा पाठकों/ दर्शकों को शायद कम याद हो. इसके तहत गोधरा में ट्रेन में आग लगायी. साबरमति एक्सप्रेस में अग्निकांड में 63 लोग जल के मरे थे. इस घटना के बाद पूरे राज्य में बड़े पैमाने पर दंगे हुए. करीब एक हजार लोग मार डाले गये. इनमें अधिकतर मुस्लिम थे. अरबों रुपये की सम्पत्ति जला दी गयी जिससे लाखों लोग बेरोजगार या यू कहें कि कंगाल हो गये. तब यहां के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे. मोदी पर आरोप लगे थे कि उन्होंने इस दंगे को होने दिया. इसके बाद जब वहां विधानसभा चुनाव हुए तबसे कभी भारतीय जनता पार्टी के हाथ से वहां की सत्ता नहीं गयी. लगातार वह सत्ता में बनी रही.

सत्ता बचाने की हवस

अब आइए जरा हम यूपी और उत्तराखंड की बात करते हैं. 2022 के शुरुआती महीनों में इन राज्यों में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं. इन चुनावों के पहले इन राज्यों में जो स्पष्ट संकेत आ रहे हैं उससे  साफ होता जा रहा है कि मौजूदा हालात में भारतीय जनता पार्टी दोनों राज्यों में सत्ता से बेदखल हो सकती है. अगर यूपी में भारतीय जनता पार्टी सत्ता से बेदखल हुई तो 2024 आते-आते दिल्ली में नरेंद्र मोदी का सिंहांसन गिरना निश्चित माना जा रहा है.

मुसलमानों के कत्ले आम के आह्वान करने वाले चेहरे

चूंकि इन परिस्थितियों का आभास भारतीय जनता पार्टी को भी हो चुका है, लिहाजा ऐसे समय में ही भाजपा शासित उत्तराखंड से दिल दहलाने वाला वाक्ये को अंजाम दिया गया. हरिद्वार में 17-19 दिसम्बर को आयोजित धर्म संसद में संतों या यूं कहें कि संतों के नाम पर गुंडों व आतंकी मानसिकता के साधु-संतों ने खुले आम 20 लाख मुसलमानों के कत्ले आम यानी जनसंहार का आह्वान किया है. आतंकी मानसिकता के इन कथित संतो में कोई एक भी ऐसा नहीं था जिसने इस धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलने का विरोध किया हो. अपने हेट स्पीच के लिए बदनाम यति नरसिंह नंद (जूना अखाड़े का महामंडलेश्वर) जिसका असल नाम दीपक त्यागी है, के खिलाफ पहले से कई मामले दर्ज हैं. उसने कहा कि अब तलवार से नहीं बल्कि बड़े हथियारों से मुसलमानों के सफाया करने का वक्त आ चुका है. इसी धर्म संसद में अन्नापूर्णा मां  (हिन्दू महासभा की जनरल सेक्रेटरी और निरंजनी अखाड़ा की महामंडलेश्वर) नाम की साध्वी ने अपनी जहरीली जुबान से यहां तक कहा कि हमें 100 लोगों की जरूरत है जो बीस लाख मुसलमानों का कत्ले आम कर सकें. उसने यहां तक कहा कि सनातान हिंदू धर्म को बचाने के लिए यह जरूरी हो गया है.

धर्म संसद में खुलेआम जनसंहार की धमकी, न FIR न UAPA

इस धर्म संसद के बाद पूरे देश में तीखी प्रतिक्रिया भले आ रही है पर दूसरी तरफ सच्चायी यह है कि केंद्र और राज्य ( उत्तराखंड) दोनों जगह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. इस मुद्दे पर मोदी ने, अपनी खसलत के अनुसार चुप्पी साध ली है. जबकि उतराखंड सरकार जिसके हाथ में कानून व व्यस्था है, उसने भी कोई कार्रवाई नहीं की. न तो इन आतंकी प्रवृत्ति के कथित साधुओं के खिलाफ एफआईआर हुई और न ही गिरफ्तारी ही अमल में लायी गयी.

मुसलमान ने यह बयान दिया होता तो?

ये हालात तब हैं, जब इस तरह की अगर कोई टिप्पणी किसी अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति की तरफ से की गयी होती तो उसे मिनट भर समय गंवाये बगैर, देशद्रोह के मुकदमें व यूएपीए के तहत सलाखों के भीतर ठूस दिया गया होता.

आप जरा याद करें कि सीएए, एनारसी के खिलाफ आंदोलन और उसके बाद दिल्ली में हुए दंगों के बाद दर्जनों मुसलमानों को जेल में आज तक ठूस कर रखा गया है.

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लेकिन उत्तराखंड से जो जहर भारतीय जनता पार्टी के संरक्षण में फैलाया गया है उसका अंजाम कुछ भी हो सकता है. भाजपा की सरकारों द्वारा इस पर कोई भी कार्रवाई नहीं किया जाना इस बात का साफ संकेत है कि वह आतंकी प्रवृत्ति के संतों द्वारा मुसलमानों के कत्ले आम के आह्वान का समर्थन कर रही है. ऐसे में इस बात से कैसे इनकार किया जा सकता है कि यूपी, उत्तराखंड में भाजपा सरकारों को बचाने के लिए देश में मुसलमानों का कत्लेआम नहीं हो सकता है.

By Editor


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