मानवाधिकार वकील अंसार इंदौरी के घर NIA ने मारा छापा

NIA ने मानवाधिकार मामलों के वकील अंसार इंदौरी के घर छापेमारी की है। उन्होंने पीएफआई के मुकदमों में कोर्ट में बचाव पक्ष की तरफ से पक्ष रखा रखा था।

अधिवक्ता अंसार इंदौरी मानवाधिकार वकील हैं। वे राजस्थान के रहने वाले हैं। दो दिन पहले वकील अंसार इंदौरी के आवास पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने छापेमारी की। उनके घर से एजेंसी ने कंप्यूटर डिवाइस तथा किताबें जब्त कर ले गई। एजेंसी ने उनसे घंटे भर पूछताछ भी की। पूछताछ के बाद एजेंसी ने उन्हें छोड़ दिया।

यह छापेमारी पीएफआई के खिलाफ दर्ज मामलों में बचाव पक्ष की तरफ से कोर्ट में वकील के तौर पर पक्ष रखने के बाद हुई है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने पिछले साल कुछ पीएफआई नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद आरोपियों ने राजस्थान हाईकोर्ट में आरोपों को चुनौती दी थी। अंसार इंदौरी 7 फरवरी को मामले में बचाव पक्ष के वकील के रूप में प्रस्तुत हुए थे।

मानवाधिकार मामलों के वकील अंसार इंदौरी ने द वायर को बताया कि उनका मानना है कि उन्होंने जब एजंसी की एफआईआर को चुनौती दी तो उन्हें परेशान करने के लिए छापा मारा गया है। मानवाधिकारों के लिए उनकी लड़ाई को देखते हुए यह उन्हें डराने या गलत तरीके से फंसाने की कोशिश है।

मकतूब मीडिया की खबर के अनुसार एंजेसी ने इंदौरी के घर से जिन पुस्तकों को जब्त किया है उनमें भोपाल के लेखक एलएस हरदेनिया की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर प्रसिद्ध कृति, कश्मीर पर दो मानवाधिकार रिपोर्ट, रिहाई मंच की ‘जिंदाबाद मुर्दाबाद के बीच फंसी देशभक्ति’ नामक रिपोर्ट और कोऑडिनेशन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स ऑर्गनाइजेशन द्वारा लिखी एक रिपोर्ट शामिल हैं।

इंदौरी मानवाधिकार के मामलों को लेकर पहले भी मामले उठाते रहे हैं, जिसके कारण उन्हें छापेमारी जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा है। द वायर के अनुसार यह पहला मौका नहीं है जब इंदौरी को उनके काम के लिए सरकारी एजेंसियों ने परेशान किया हो। अक्टूबर 2021 में, उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ अत्याचारों की जांच के लिए एक फैक्ट-फाइंडिंग दल के साथ त्रिपुरा का दौरा किया था। 2 नवंबर 2021 को प्रकाशित ‘त्रिपुरा में इंसानियत पर हमले, #Muslim Lives Matter’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में राज्य में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा पर प्रकाश डाला गया था। इसके एक दिन बाद उनके और कई अन्य लोगों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम 1967 (यूएपीए) और आईपीसी के कई प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।

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By Editor


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