प्रधान मंत्री कार्यालय क उस प्रस्ताव से विपक्षी पार्टियों में हड़कम्प मच गया है जिसमें कहा गया है कि यूपीएससी के अंतिम चयन के बावजूद तीन महीने के फाउंडेशन कोर्स के बाद ही आईएएस, आईपीएस व आएफएस अफसरों का कैड़र व सेवा तय किया जाना चाहिए.
विपक्षी दलों ने पीएमए के इस प्रस्ताव को खतरानाक चाल बतात हुए कहा है कि ऐसा प्रस्ताव को स्वीकार करने का मतलब हुआ कि दलितों और पिछड़ों को मनमाफिक कैड़र और महत्वपूर्ण सेवाओं से वंचित कर दिया जाना.
वरिष्ठ नेता शरद यादव ने कहा कि सिविल सेवा में चयनित अभ्यर्थियों के फांउडेशन कोर्स में प्रदर्शन के आधार पर कैडर का आवंटन करने की कोशिश को निंदनीय बताते हुए कहा कि सरकार की मंशा समाज के वंचित वर्ग के अभ्यर्थियों को आरक्षण के लाभ से वंचित करना है.
उन्होंने कहा, ‘‘सिविल सेवा परीक्षा में संघ लोक सेवा आयोग तीन स्तरीय परीक्षा का आयोजन करता है. मौजूदा व्यवस्था को बदलने की कोई जरूरत नहीं है. इस तरह का बदलाव करने से परीक्षा प्रणाली में पक्षपात के दरवाजे खुलेंगे
उधर तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर कहा कि अगर कैडर और सर्विस आबंटन का PMO का प्रस्ताव अनुमोदित होता है तो ये सामाजिक न्याय पर मनुवादी व्यवस्था का सबसे बड़ा आघात होगा।आइये केंद्रीय सेवा के चरित्र को नष्ट करने की साज़िश को बेनक़ाब करें।
ये ऐसा करके पिछड़े-दलितों और आदिवासियों वर्गों के आरक्षित कोटे के अफ़सरों को दरकिनार करने की गहरी साज़िश है। चयन होने के बाद फिर किस बात का फ़ाउंडेशन कोर्स। पहले ही इन वर्गों के उम्मीदवारों को interview में कम अंक दिए जाते है। अब यह नया झमेला कर इन्हें अच्छे कैडर और सेवा से वंचित करने की मनुवादी साज़िश है। ये हर जगह से अप्रत्यक्ष रूप से आरक्षण समाप्त कर रहे है।