मुफ्ती मोहम्मद जमालुद्दीन कासमी
आल इंडिया मिली काउंसिल, फुलवारी शरीफ, पटना, बिहार
आज़ाद भारत के इतिहास में दो दिन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं—पहला 15 अगस्त, जिस दिन हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुआ, और दूसरा 26 जनवरी, जिस दिन हमारा देश लोकतांत्रिक बना और अपने संविधान को लागू किया।
26 जनवरी का महत्व
26 जनवरी का महत्व यह है कि 1935 से लागू ‘गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट’ को समाप्त करके भारतीय संविधान को लागू किया गया। संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अपनाया और इसे 26 जनवरी 1950 को लागू करने की अनुमति दी। इसी दिन भारत में लोकतांत्रिक प्रणाली का आरंभ हुआ।
संविधान निर्माण के लिए 29 अगस्त 1947 को डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में 7 सदस्यों की एक समिति गठित की गई, जिसे संविधान तैयार करने में 2 वर्ष, 11 महीने, और 18 दिन लगे। संविधान सभा के विभिन्न सत्रों में हर धारा पर खुली बहस हुई। अंततः 24 जनवरी 1950 को सभी सदस्यों ने इस पर हस्ताक्षर किए और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू कर भारत में पहला “गणतंत्र दिवस” मनाया गया।
गणतंत्र दिवस का इतिहास
भारत को गणतंत्र बनाने की यह यात्रा आसान नहीं थी। इस दिन का जश्न हमें लाखों लोगों की कुर्बानियों और बलिदानों के बाद नसीब हुआ। 1601 में मुगल सम्राट जहांगीर के शासनकाल में अंग्रेज भारत में व्यापार के बहाने आए थे। 346 वर्षों तक अंग्रेजों ने भारत पर शासन किया, जिसके दौरान उन्होंने अत्याचार और शोषण की लंबी कहानी लिखी।
आज़ादी की लड़ाई में मुसलमानों की भूमिका अहम रही। उनके बलिदान के बिना भारत की आज़ादी अधूरी रहती। लेकिन आज़ादी मिलने के बाद सबसे बड़ा सवाल था कि देश का संविधान कैसा हो—धार्मिक या धर्मनिरपेक्ष? इसमें सभी नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, और समानता कैसे सुनिश्चित की जाए?
संविधान की प्रस्तावना में लिखा गया:
“हम भारत के लोग यह संकल्प लेते हैं कि भारत को एक स्वतंत्र, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाएंगे। सभी नागरिकों के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और पूजा की स्वतंत्रता, और व्यक्तित्व और गरिमा की रक्षा सुनिश्चित करेंगे।”
संविधान निर्माण में मुस्लिम नेताओं की भूमिका
संविधान निर्माण में जमीयत उलेमा-ए-हिंद का महत्वपूर्ण योगदान रहा। मौलाना हिफ्ज़ुर्रहमान सिवहारी ने संविधान सभा में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुनिश्चित कराने में अहम भूमिका निभाई।
1971 में इंदिरा गांधी ने संविधान की प्रस्तावना में ‘सेकुलर’ शब्द जोड़ा, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि भारत का लोकतांत्रिक ढांचा सभी धर्मों और संस्कृतियों के लिए समान रहेगा।
गणतंत्र दिवस का जश्न
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाना हमारे लोकतंत्र, समानता, और विविधता का उत्सव है। इस दिन हम संविधान के निर्माताओं और देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का संघर्ष
1857 में ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ पहली बड़ी क्रांति हुई, जिसे “गदर” का नाम दिया गया। इस क्रांति में मौलाना इमामुद्दीन, मौलाना कासिम नानौतवी, और मौलाना रशीद अहमद गंगोही जैसे अनेक मुसलमानों ने नेतृत्व किया।
1857 की क्रांति असफल होने के बाद अंग्रेजों ने मुसलमानों और भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों पर भयंकर अत्याचार किए। हजारों उलेमा को फांसी दी गई। 30 मई 1866 को दारुल उलूम देवबंद की स्थापना हुई, जिसने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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1919 में जालियांवाला बाग हत्याकांड और 1920 में खिलाफत आंदोलन जैसे प्रयासों ने स्वतंत्रता संग्राम को और तेज किया। अंततः 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ, और 26 जनवरी 1950 को भारत ने अपने संविधान के साथ लोकतंत्र का गौरव हासिल किया।
आज 26 जनवरी हमारे देश की विविधता, एकता, और लोकतांत्रिक मूल्यों को समर्पित एक ऐतिहासिक दिन है।