इस तरह अपने ही सहयोगी को खा जाती है भाजपा
भाजपा के बारे में कहा जाता है कि वह अपने सहयोगी को ही धीरे-धीरे खा जाती है। अब इसका नया उदाहरण बिहार में मुकेश सहनी की पार्टी VIP है।
वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी का अस्तित्व संकट में है। भाजपा के बारे में कहा जाता है कि वह अपने सहयोगियों को ही धीरे-धीरे खा जाती है। जदयू तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है। इसके पीछे सीधे चिराग को जिम्मेदार बताया जाता है, लेकिन यह किसी से छुपा नहीं है कि चिराग के पीछे कौन था? अब वीआईपी पार्टी का नंबर है।
जब से मुकेश सहनी ने उप्र विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी देने की घोषणा की तभी से भाजपा के साथ संबंध बिगड़ने लगा। भाजपा नहीं चाहती कि मुकेश सहनी बिहार से बाहर अपना आधार बढ़ाएं। इसलिए उनके खिलाफ भाजपा नेताओं ने बयानबाजी शुरू कर दी। पहले यह समझा गया कि यह भाजपा नेता का निजी बयान है और पार्टी इससे अपने को अलग कर लेगी। लेकिन एक के बाद एक भाजपा के पिछड़े वर्ग के नेताओं ने तीखे हमले करने शुरू किए। यहां तक चुनौती दे दी कि हम्मत है, तो राज्य में एनडीए सरकार गिरा कर दिखा दें।
मालूम हो कि 2020 के विधान सभा चुनाव में वीआईपी के चार प्रत्याशी चुनाव जीते। इनमें एक बोचहां से मुसाफिर बैठा का निधन हो गया। बाकी तीन विधायक लगता है भाजपा के साथ हैं। वैसे भी भाजपा ने अपने प्रत्याशी वीआईपी के टिकट पर उतारे थे। मुजफ्फरपुर के साहेबगंज से विधायक राजू कुमार सिंह ने अपनी ही पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी को ललकार दिया। कहा, कि वे मनमानी कर रहे हैं। उन्होंने अपने ही राष्ट्रीय अध्यक्ष पर आरोप लगाया कि वे लालू-तेजस्वी प्रेम दिखा रहे हैं। जबकि पार्टी ने लालूवाद के खिलाफ वोट पाया है। यह एक तरह से खुली चुनौती है। वीआईपी के शेष दो विधायक स्वर्णा सिंह, गौराबौड़ाम तथा मुंशी लाल यादव अलीनगर से हैं।
इसका अर्थ है कि मुकेश सहनी ने यूपी में पांव फैलाने, भाजपा के खिलाफ आगे बढ़ने की कोशिश की तो बिहार विधानसभा से पार्टी का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। खुद मुकेश सहनी अपना चुनाव हार गए थे। बाद में उन्हें विधान पार्षद की सदस्यता मिली।
यहां यह भी गौर करनेवाली बात है कि मुकेश सहनी छह साल वाली सीट से विधान परिषद में जाना चाहते थे, पर भाजपा तैयार नहीं हुई। उन्हें सिर्फ डेढ़ साल के लिए खाली हुई सीट से इंट्री मिली। इसका अर्थ है कि 2022 में उनका कार्यकाल खत्म होते ही, दुबारा उनका विधान परिषद जाना भी संकट में होगा। लगता है मुकेश सहनी का पूरा इंतजाम भाजपा ने पहले से ही कर रखा है।
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