इस्लाम शांति का पैगाम देता है
इस्लाम का एक युनिवर्सल संदेश है कि दीन को शांतिपूर्वक फैलाओ, बिना किसी दबाव में रहते हुए. कुरान में इस संबंध में अनेक बार उल्लेख मिलता है कि गैरमुस्लिमों के साथ अमन के साथ पेश आओ. उनका ध्यान रखो और उनका सम्मान करो.
कुरान मुसलमानों को यह भी हिदायत देता है कि गैरमुस्लिमों के साथ विमर्श करो और बात चीत से उनके साथ मसायल का हल करो. लेकिन अलकायदा और अन्य चरमपंथी संगठन हिंसा का सहारा लेते हैं. और वे हिंसा के सहारे ही सारे मसायल का हल तलाशने की कोशिश करते हैं. और इस तरह से उसके नेता हिंसा को तर्कसंगत बना कर पेश करते हैं और अपनी हिंसा का शिकार बच्चों और महिलाओं को भी बनाते हैं. यह इस्लाम के उसूलों के खिलाफ है. कुरान किसी भी निर्दोष के साथ हिंसा करने के खिलाफ है.
इमाम अबू यूसुफ ने भी इस बात को महत्वपूर्ण तरीके से रखा है और कहा है कि शांति चाहने वाले लोगों को किसी भी तरह उनके अन्य धर्मावलम्बियों के गुना की सजा नहीं दी जायेगी.
अलकायदा और अन्य आतंकी संगठन मुसलमानों के अंदर हिंसा को बढ़ावा देने की कोशिश करते हैं. और इस तरह वे इस्लाम के शांति के संदेशों से अलग ले जाते हैं.वे यह यह भी कोशिश करते हैं कि मुसलमानों को सरकार के खिलाफ नाफरमान बनाने के लिए भड़काते हैं और उन्हें मुख्यधारा की शिक्षा से अलग कर देना चाहते हैं. उन्हें विद्रोही बनाने की कोशिश करते हैं. जबकि इसके बरअक्स कुरान मुसलमानों को यह शिक्षा देता है कि वे अपनी सरकार के प्रतिनिधियों के साथ सहयोग करें और हिंसा ना फैलायें और न ही उनके विरुद्ध साजिश रचें.
इस्लामी उलेमा के अनुसार अलकायदा जैसे संगठन और उनके फालोअर्स इस्लाम के दायरे से बाहर हैं. उनकी हिंसा का नजरिया अब एक्सपोज्ड हो चुका है. अनेक इस्लामी विद्वान उनके उनकी विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाते हैं. उनके नफरत के उसूल मुस्लिम युवाओं को विध्वंस की तरफ ले जाता है.
इसलिए मुस्लिम युवाओं को चाहिए कि वे कुरान की तालीमात की पैरवी करें. हदीस के बताये रास्ते और सहाबा की पैरवी करें. शांति के मार्ग पर चलें.