Islam rejects Violenceइस्लाम और कुरान के उसूलों के खिलाफ है हिंसा

ऐसे समय में जब इस्लाम और उसके अनुयायियों को अतिवाद मिलिटेंसी से जोड़ कर देखा जाता है  लिहाजा यह जरूरी है कि हम इस्लाम के संदेशों को कुरान के आलोक में समझें.

कुछ मुट्ठी भर बहके हुए लोग ऐसी गतिविधियों में संलिप्त हैं जो इस्लाम के उपदेशों के खिलाफ जिहाद की व्याख्या करते हैं.

इस्लाम किसी भी तरह की हिंसा को रिजेक्ट करता है. इस्लाम एक ऐसा मजहब है जो शांति का संदेश देता है जबकि हिंसा का इस धर्म में कोई स्थान नहीं. ऐसी कोशिशें हो रही हैं कि इस्लाम को हिंसा से जोड़ कर परिभाषित किया जाये.

कुरान कहता है- शांति की स्थानपा के लिए सुलह सबसे अच्छी नीति है.(4-128)  और अल्लाह शांति भंग करने के किसी भी कदम को नापसंद करता है.(2-205) कुरान यहां तक कहता है कि पैगम्बर मोहम्मद को अल्लाह ने धरती पर मानवता के लिए दया के रूप में भेेजे गये हैं. कुरान ने कायनात को एक मॉडल के रूप में पेश किया है जहां शांति और भाईचारा हो.

बेगुनाह इंसानों का खून किसी भी स्थिति में जायज नहीं

जब अल्लाह ने धरती और स्वर्ग को बनाया तो उसने यह आदेश दिया कि दोनों जहान अपनी अपनी सीमाओं में रहें और शांति के साथ काम करें. कुरान यहां तक कहता है कि  सूरज को यह हुक्म नहीं कि वह चांद की परिधि में प्रवेश करे और न ही रात, दिन की सीमाओ को छुए. लिहाजा ये सब अपनी अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं ( 36-41)

इसलिए यह समय की पुकार है कि मुसलमान  उम्मा इन बातों पर संजीदगी से गौर करे और कुरान के इन उपेदशों को आत्मसात करे.

 

अगर मुसलमान इन बिंदुओं पर गौर करे और इसी के अनुरूप अपने जीवन में बदलाव लाय तो इस्लाम के गौरव को फिर से प्राप्त किया जा सकता है. ऐसा करके हम इस दुनिया को बेहतरीन बना सकते हैं. और यही वह मार्ग है जिस पर चल कर हम अपने देश को तरक्की की तरफ ले जा सकते हैं.

 

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427