इतिहास के सबसे विध्वंसक फैसले नोटबंदी की छठी वर्षगांठ आज
नरेंद्र मोदी इतिहास में हमेशा याद किए जाएंगे! उनके एक निर्णय नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था की कमर टूट गई थी। तब गरजनेवाले पीएम, BJP, गोदी एंकर सभी चुप।
कुमार अनिल
भारत 8 नवंबर को कभी भूल नहीं सकता। 2016 में इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक रात आठ बजे टीवी पर आकर देश में नोटबंदी की घोषणा की थी। उन्होंने देश से चार वादे किए थे। काला धन खत्म हो जाएगा। जाली नोट खत्म हो जाएंगे। नक्सलवाद और आतंकवाद खत्म हो जाएगा तथा देश में कागज के नोट की जगह कैशलेस इकोनॉमी आ जाएगी। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर मेरा निर्णय गलत साबित हो जाए, तो जिस चौराहे पर जनता बुलाएगी, मैं आ जाऊंगा और जो सजा चाहे दे देना। इन चार वादों का हाल क्या है, पाठक जानते हैं। कालाधन बढ़ता ही जा रहा है। नकली नोट का धंधा जारी है। आतंकवाद से कितने सैनिक छह साल में मारे गए गिन लीजिए। और कैशलेस इकोनॉमी का हाल यह है कि आज सर्वाधिक नोट बाजार में हैं।
Demonetisation was a deliberate move by ‘PayPM’ to ensure 2-3 of his billionaire friends monopolise India’s economy by finishing small & medium businesses. pic.twitter.com/PaTRKnSPCx
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 8, 2022
पूरा देश तबाह हो रहा था। लोग अपने ही पैसे बैंक से नहीं निकाल पा रहे थे। बैंकों के सामने पूरा देश लाइन में खड़ा था। महीनों तबाही जारी रही। धंधे, रोजगार चौपट हो गए। अस्पतालों में इलाज कराना मुश्किल हो गया। लाइन में सैकड़ों लोग मर गए। इस पर चिंता करने, सरकार से सावल करने के बदले देश का मीडिया नोटबंदी के पक्ष में चीख रहा था। एंकर बता रहे थे कि दो हजार के नोट में मोदी जी ने नैनो चिप लगा दी है, जिससे धनपशु नोट नहीं छिपा पाएंगे। जमीन में गाड़ कर रखने पर भी काला धन पकड़ा जाएगा। पूरा देश प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा और गोदी मीडिया के चक्कर में बर्बाद हो गया। ये सारे लोग माफी भी नहीं मांग रहे, बस चुप हैं।
राहुल गांधी समेत विपक्ष के सारे दल, लेखक-कवि, सामाजिक कार्यकर्ता सवाल पूछ रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री, पूरी भाजपा और एंकर जवाब नहीं दे रहे।
राहुल गांधी ने कहा- पेपीएम के जरिये नोटबंदी जानबूझ कर उठाया गया कदम था, ताकि छोटेबिजनेस को तबाह करके उनके दो-तीन अरबपति मित्रों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर एकाधिकार हो सके।
लेखक अशोक कुमार पांडेय ने कहा-सात साल पहले हुई नोटबंदी स्वतंत्र भारत के इतिहास की सबसे बड़ी ग़लती थी। इस निर्णय ने भारत के आर्थिक विकास की गति पीछे मोड़ने में, मध्यवर्गीय तथा छोटे दुकानदारों की कमर तोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई।
ऐसा नहीं कि राहुल गांधी ने छह साल बाद यह कहा, बल्कि वे इस फैसले के खिलाफ बोलने वाले देश के पहले नेता थे। मनमोहन सिंह ने इसे संगठित लूट की संज्ञा दी थी। लेकिन तब भक्ति में डूबे लोग जो नेता को विष्णु का अवतार साबित कर रहे थे, उनका बोलबाला था।
आज ऐसे हर नागरिक को भी खुद से सवाल करने का दिन है, जो नोटबंदी के समय फैसले के पक्ष में झाल बजा रहे थे।आखिर देश की बर्बादी में ऐसे नागरिकों का भी योगदान कम नहीं है।
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