जन-जुड़ाव का नीतीश मॉडल जमीन पर उतार रहे उपेंद्र कुशवाहा
एकतरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम शुरू किया, दूसरी तरफ उपेंद्र कुशवाहा गांव-गांव में लोगों से कर रहे संवाद।
लगता है जदयू पूरी रणनीति बनाकर आगे बढ़ रहा है। पांच वर्ष बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिर से जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम की शुरुआत की। कल वे पटना में इस कार्यक्रम में पहली बार शामिल हुए। उन्होंने 146 लोगों की परेशानी सुनीं। लोगों की परेशानी दूर करने का आदेश दिया। उधर, पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा इस उमसभरी गर्मी में गांव-गांव जा रहे हैं।
सत्ताधारी नेता सीधे जनता में जाएं, पैदल गांव की गलियों में घूमें, ऐसा उदाहरण हाल के वर्षों में नहीं मिलता। उपेंद्र कुशवाहा ने 10 जुलाई को चंपारण से अपनी यात्रा शुरू की। इसी चंपारण से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले कई यात्राएं कर चुके हैं। उपेंद्र कुशवाहा चंपारण के बाद सीतामढ़ी होते हुए आज मधुबनी पहुंचे।
उपेंद्र कुशवाहा कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं। वे कोविड के शिकार हुए लोगों के परिजनों से मिल रहे हैं। उन्होंने नदियों से कटाव का निरीक्षण भी किया। वे सीधे ग्रमीणों से भी मिल रहे हैं। लोगों की समस्याओं को सुन रहे हैं। समस्याओं के दूर करने के लिए संबंधित विभाग को निर्देश दे रहे हैं।
उपेंद्र कुशवाहा की यह बिहार यात्रा सरकार और संगठन के बीच पुल की तरह बन गई है। आज मधुबनी के हरलाखी प्रखंड के खिरहर गांव के लोगों से मिले। लोगों ने जलजमाव की परेशानी बताई। कुशवाहा ने ग्रामीणों के सामने ही अधिकारियों से बात की। अधिकारियों के तुरत समस्या का समाधान करने का निर्देश दिया।
इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा सीतामढ़ी के बाजपट्टी के अधगांव में जदयू नेता संजय कुमार के परिजनों से मिले, जिनका कोरोना संक्रमण से निधन हो गया था। उन्होंने श्रद्धांजलि भी अर्पित की। इस तरह महामारी के शिकार हुए लोगों के परिजनों से मिलकर संवेदना जताना ग्रामीण कभी भूल नहीं पाएंगे। लोगों की खुशी में शामिल होने से कहीं बड़ा है लोगों के दुख में शामिल होना। उपेंद्र कुशवाहा अन्य पार्टी नेताओं को भी अपने इस बिहार दौरे से संदेश दे रहे हैं कि जनता के साथ खड़ा होना पार्टी की सबसे बड़ी सेवा है।
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उपेंद्र कुशवाहा लोगों के बीच बैठकर भूंजा खाते भी दिखे, जो पुराने समाजवादियों की संस्कृति की याद दिला गया।
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