जनता से जुड़ाव की मोदी शैली पर भारी राहुल-तेजस्वी!
किसी भी नेता के लिए सबसे जरूरी योग्यताओं में एक है जनता से जुड़ने की कोशिश या कला। क्या इस मामले में पीएम पर भारी पड़ रहे हैं राहुल, प्रियंका, तेजस्वी?
कुमार अनिल
माना जाता रहा है कि प्रतीकों के इस्तेमाल और जनता से जुड़ाव (पीपुल्स कनेक्ट) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महारत हासिल है। लेकिन पिछले कई दिनों से राहुल गांधी जिस तरह केरल और तमिलनाडु में लोगों से जुड़ रहे हैं, उसके वीडियो रोज ट्रेंड कर रहे हैं।
तेजस्वी लोगों के दुख-दर्द में सीधे पहुंच रहे हैं। बेरोजगारों के संघर्ष में खुद पहुंच जा रहे हैं। किसी के दुख में, किसी के संघर्ष में सीधे पहुंचना तेजस्वी के व्यक्तित्व को नया आयाम दे रहा है। किसी के दुख या संघर्ष में पहुंचना उतने तक ही सीमित नहीं रहता है, बल्कि वह बड़ी आबादी को कनेक्ट करता है। इसका दूसरा पक्ष यह है कि इससे संघर्ष करनेवाली जमात का मनोबल बढ़ता है।
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तेजस्वी यादव जब रूपेश सिंह की हत्या के बाद उनके परिजनों से मिले और परिजन जिस प्रकार तेजस्वी से लिपट गए ऐसी घटनाएं लोगों को छू लेती हैं। तेजस्वी का बेरोजगार युवकों के बीच बेधड़क पहुंच जाना भी संघर्ष कर रहे युवा वर्षों याद करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक दिन पहले कोरोना का टीका लगवाया। बगल में एम्स का बैनर लगा था। टीका देनेवाली नर्स पुडुचेरी की पी निवेदा थी। साथ में केरल की नर्स रोसम्मा अनिल थी। प्रधानमंत्री ने असम का गमछा गले में डाल रखा था। इन तीनों राज्यों में चुनाव हो रहे हैं। प्रधानमंत्री अपनी सभाओं में लोगों से सवाल-जवाब करने के लिए भी जाने जाते हैं।
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हाथरस रेप-हत्याकांड के बाद जब राहुल और प्रियंका संघर्ष करते हुए गांव पहुंचे, तो इसने कांग्रेस में नई जान फूंक दी। अभी राहुल तमिलनाडु में पुश-अप्स करते, केरल में मछुआरों के मछली पकड़ने के व्यवसाय की परेशानियों को समझते देखे गए।
आज प्रियंका गांधी ने असम में जिस प्रकार चाय बगान के महिला मजदूरों के बीच समय बिताया, वह किसी मंच से चाय के साथ साजिश हो रही है कहने पर भारी दिख रहा है।
राजद प्रमुख लालू प्रसाद भी जनता से जुड़ने के लिए जाने जाते हैं। वह समय अलग था और लालू की शैली तब के लिए बहुत कारगर भी रही। अब तेजस्वी ने अपनी नई शैली विकसित की है।
तेजस्वी यादव पीपुल्स कनेक्ट के लिए दो बातें और भी कर रहे हैं। आज उन्होंने माले के युवकों पर लाठीचार्ज की निंदा की है। सरकार पर हमला किया और फिर से बेरोजगारी का मुद्दा उठाया। पहले आमतौर से नेता अपने दल पर दमन का तो विरोध करते थे, लेकिन दूसरे दल के कार्यकर्ताओं पर दमन का विरोध उदारता दिखाता है। तेजस्वी सोशल मीडिया पर रोजगार के लिए चल रहे अभियान को भी अपना अभियान मान रहे हैं।
इस तरह जनता से जुड़ने की दो शैलियों में देखना है, कौन ज्यादा प्रभावशाली होता है।