जातीय जनगणना पर सियासत शुरू, श्रेय लेने को कूद पड़ा JDU
पहले राजद ने जताने की कोशिश की कि उसके प्रयास से ही बिहार में जातीय जनगणना हो रही है। अब JDU हर जिले में 25 को निकालेगा आभार यात्रा।
कुमार अनिल
राजनीति में परसेप्शन ( धारणा) का बहुत महत्व होता है। बिहार में जातीय जनगणना का निर्णय आसान नहीं था। भाजपा के कभी हां-कभी ना के कारण विलंब होता रहा। जदयू और राजद दोनों ही जातीय जनगणना के पक्ष में थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रयास या दबाव, जो भी कहें, से भाजपा किसी तरह तैयार हुई। तेजस्वी यादव भी इस मुद्दे पर लगातार मुखर थे। उन्होंने दिल्ली तक पदयात्रा करने की घोषणा भी कर दी थी, जिसे बाद में मुख्यमंत्री के आश्वासन पर उन्होंने स्थगित कर दिया। जातीय जनगणना के निर्णय के बाद विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और राजद ने बार-बार यह दिखाने की कोशिश की कि उनके दबाव के कारण ही बिहार में जातीय जनगणना हो रही है। अब जदयू भी इस परसेप्शन की लड़ाई में उतर चुका है। 25 जून को हर जिले में जदयू के नेता जातीय जनगणना के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को थैंक्यू कहेंगे और आभार यात्रा निकालेंगे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए जातीय जनगणना पर जोर देना खतरे से खाली न था। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व जातीय जनगणना के खिलाफ स्पष्ट बोल चुका था। नीतीश कुमार के जोर से से जदयू-भाजपा के संबंध में खटपट भी हुई। यह खटपट बढ़ती तो सरकार को खतरा भी हो सकता था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने जोर बनाए रखा। आखिरकार भाजपा झुकी और सबसे अंत में उसने सहमति दी। फिर पहले सर्वदलीय बैठक, बाद में कैबिनेट से पास हुआ।
जातीय जनगणना बिहार की राजनीति को दूर तक प्रभावित करनेवाली है, इसे सभी मानते हैं। वर्षों तक यह याद किया जाएगा कि किसकी क्या भूमिका थी। इसीलिए पहले राजद ने जोर-शोर से कहा कि उसका दबाव काम कर गया।
जदयू के सभी जिला प्रभारियों को निर्देश दे दिया गया है कि वे 25 जून को अपने प्रभार वाले जिले में रहें तथा जातीय जनगणना के लिए मुख्यमंत्री को आभार जताने का नेतृत्व करें। जदयू ने आज इसके लिए एक पोस्टर भी जारी कर दिया। जदयू कार्यकर्ता जनता को बताएंगे कि किस प्रकार मुख्यमंत्री ने सारे खतरे उठाते हुए भी इस मुद्दे को अंजाम तक पहुंचाया।
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