JDU के बैकवर्ड सांसदों का धमाका, PM के खिलाफ मोर्चाबंदी
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केंद्र और बिहार में भाजपा के साथ सरकार में शामिल JDU के बैकवर्ड समाज के तमाम सांसदों ने ऐसा कदम उठाया है जिससे मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ गयीं हैं.
जनता दल युनाइटेड के पिछड़ा व अतिपिछड़ा वर्ग के तमाम सांसदों ने अपनी नाराजगी एक साथ मिल कर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से जाहिर की है. इसके लिए उन्होंने बाजाब्ता एक खुला पत्र जारी किया है. इस पत्र में इन तमाम सांसदों ने अपने हस्ताक्षर किये हैं और साफ कहा है कि देश में जातीय जनगणना हर हाल में कराया जाना चाहिए.
जदयू के सांसद चंद्रेश्वर प्रसाद, दिलकेश्वर कामत, आलोक कुमार सुमन, सुनील कुमार पिंटू , संतोष कुशवाहा, विजय मांझी और आलोक कुमार सुमन ने संयुक्त चिट्ठी जारी करते हुए कहा है कि मानसून सत्र में सरकार के उस फैसले से हम काफी दुखी हैं जिसमें कहा गया है कि जातीय जनगणणा नहीं करायी जायेगी. इन सांसदों ने याद दिलाया है कि 18 फरवरी 2019 और 27 फरवरी 2020 को बिहार विधान सभा ने सर्वसम्मति से प्रस्तवा पारित करके केंद्र से जातीय जनगणना कराने का आग्रह किया था. लिहाजा हर हाल में जातीय जनगणना करायी जानी चाहिए.
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गौरतलब है कि देश में 1931 के बाद से जातीय जनगणना कभी नहीं करायी गयी है. समाजवादी और सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाली पार्टियां दशकों से जातीय जनगणना कराने की मांग करती रही हैं लेकिन इस मांग को तमाम केंद्र सरकारें नजरअंदाज करती रही हैं.
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याद रहे कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व वेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी यह मांग कर चुके हैं.
JDU का गेमप्लान
ऐसे समय में जनता दल युनाइटेड के पिछड़ा व अतिपिछड़ा वर्ग के सांसदों का इस मुद्दे पर गोलबंद होना कोई मामूली बात नहीं है. लिहाजा राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जदयू के सांसदों के इस पत्र के पीछे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जरूर सहमति होगी. क्योंकि अपने ही गठबंधन की सरकार के फैसले ( जातीय जनगणना न कराने का फैसला) के खिलाफ किसी सहयोगी दल के सांसद इतना मुखर नहीं हो सकते. ऐसी स्थिति में यह माना जा रहा है कि जनता दल युनाइटेड जातीय जनगणणा पर केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ मजबूती से दबाव बनाने के मूड में है.
तेजस्वी यादव मुझसे से आगे निकल चुके हैं : लालू
जनता दल यू के लिए इस संबंध में दूसरी चुनौती राजद की तरफ से है. राजद नेता तेजस्वी यादव बार बार कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तमाम दलों के नेताओं के साथ चल कर इस मुद्दे पर डायरेक्ट प्रधान मंत्री से बात करें.