मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक कदम से भाजपा सन्न हो गई है। उनकी पार्टी ने मणिपुर में भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। इस कदम को भाजपा पर दबाव बनाने की रणनीति माना जा रहा है। नीतीश चाहते हैं कि केंद्र की मोदी सरकार बिहार के लिए जल्द बड़ी घोषणा करे और केंद्र सरकार ऐसा करती दिख नहीं रही है। अभी हाल में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी को 32 पन्नों का पत्र लिखा है। पत्र में कई मांगे की गई हैं।
नीतीश कुमार ने बुधवार को भाजपा को बड़ा झटका दिया। उनकी पार्टी जदयू ने मिणुपुर में भाजपा के नेतृत्ववाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया। वहां जदयू के छह विधायक हैं। हालांकि वहां भाजपा सरकार को फिलहाल कोई संकट नही है। 60 सदस्यों वाली विधानसभा में उसके 32 विधायक हैं। इस तरह उसे बहुमत से सिर्फ एक विधायक ज्यादा है। महत्व सरकार के गिरने या नहीं गिरने का नहीं है, बल्कि इसके भीतर का राजनीतिक संदेश है।
मणिपुर में कानून व्यवस्था के सवाल पर आज तक भाजपा घिरी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विपक्ष ने बहुत दबाव नबाया, लेकिन वे आज तक मणिपुर नहीं गए। ऐसे में जदयू के समर्थन वापस लेने से पूरे उत्तर पूर्वी प्रदेशों में भाजपा अकेली पड़ गई है। मणिपुर हिंसा के सवाल पर भाजपा की परेशानी बढ़ेगी और विपक्ष हमलावर होगा।
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इधर मणिपुर में समर्थन वापस लेने को दिल्ली तथा पटना की राजनीति से जोड़ कर देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने हाल में प्रधानमंत्री मोदी को 32 पन्नों का पत्र लिखा है, जिसमें प्रदेश से संबंधित मांगों की लंबी फेहरिस्त है। इसी साल बिहार में चुनाव होना है। प्रधानमंत्री को पत्र, फिर मणिपुर में समर्थन वापस लेकर जदयू भाजपा पर दबाव बनाया है। इसका एक अर्थ तो ये है कि केंद्र सरकार बिहार को विशेष पैकेज दे तथा दूसरा जदयू को बिहार में नेता माने। स्पष्ट रूप से नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करे।