JDU राष्ट्रीय परिषद बैठक, भाजपा के लिए खतरे की घंंटी

पटना में आज आयोजित हुई JDU (National Council Meeting) राष्ट्रीय परिषद बैठक में यूंं तो सात प्रस्ताव पर मुहर लगी लेकिन इस बैठक का सार यह है कि जदयू अब भाजपा के सामने चुनौती बनने को तैयार है.

पटना में जदयू मुख्यालय के कर्पुरी साभागार में आयोजित इस बैठक में 17 राज्यों तमाम दिग्गज शामिल हुए. इस बैठक में ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने के फैसले का अनुमोदन किया गया. साथ ही अब राष्ट्रीय अध्यक्ष को संसदीय दल के नेता के चयन का अधिकार दिया गया. इस बैठक में अन्य प्रस्तावों में एक अहम प्रस्ताव यह था कि पार्टी को राष्ट्रीय दल बनाने के लिए पूरी कोशिश करनी है. इसी उद्देश्य से जनता दल युनाइटेड ने यह तय किया है कि वह उत्तर प्रदेश और मणिपुर में विधान सभा चुनाव लड़ेगी.

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अभी तक पार्टी का दो राज्यों में जनाधार है लेकिन राष्ट्रीय दल बनने के लिए उसका विस्तार कम से कम चार राज्यों में होना जरूरी है. चूंकि उत्तर प्रदेश और मणिपुर दोनों राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं इसलिए जदयू की यह पेशकदमी भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनौती बन सकती है. पार्टी का साफ मानना है कि अगर इन राज्यों में भाजपा उसे गठबंधन सहयोगी बनाती है तो ठीक, वर्ना वह अपने दम पर वहां चुनाव लड़ेगी.

एक अन्य प्रस्ताव में पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष को अधिकृत किया कि वह गठबंधन संबंधी मुद्दों पर अन्य दलों से बात करेंगे. उत्तर प्रदेश में अगर भाजपा जदयू को सहयोगी बनाती है तो उसे कुछ सीटें देनी पड़ेंगी. लेकिन भाजपा इस बात के लिए कम ही उम्मीद है कि वह जदयू के साथ सीट शेयर करेगी. ऐसी स्थिति में जदयू का अकेले चुनाव लड़ना लगभग तय है.

इस बैठक में नीतीश कुमार, पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह, पूर्व अध्यक्ष आरसीपी सींह, संसदीय दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी यानी तमाम दिग्गज नेताओं ने साफ कह दिया है कि अब पार्टी को राष्ट्रीय फलक पर विस्तार देना है. इसी बैठक में केसी त्यागी ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सामने एक और चुनौती पेश करते हुए कहा कि हालांकि ” नीतीश कुमार, प्रधान मंत्री पद के दावेदार नहीं हैं लेकिन उनमें प्रधान मंत्री बनने के सारे गुण मौजूद हैं. ” त्यागी के इस बयान को नरेंद्रे मोदी के समकक्ष में नीतीश को खड़ा करने के रूप में देखा जा रहा है.

By Editor