JDU ने टिकट नहीं दिया, तो क्या होगा RCP का भविष्य
केंद्र में मंत्री बनना RCP के लिए काल बन गया। कभी मंत्री-विधायक हाथ जोड़े खड़े रहते थे, आज कोई हाल भी पूछने नहीं आ रहा। क्या होगा उनका भविष्य?
कुमार अनिल
जो कभी दूसरों का भविष्य तय करते थे, बनाते-बिगाड़ते थे, आज उनका ही भविष्य अंधकार में है। राजनीति बड़ी कड़वी होती है। जब तक लोगों को उम्मीद थी कि RCP राज्यसभा का टिकट मिलेगा, तब तक लोग मिलने आ रहे थे। जैसे-जैसे दिन बीते और आरसीपी सिंह को टिकट मिलने की संभावना क्षीण होती गई, मिलनेवाले भी घटते गए। आज बस कुछ चुनिंदा सहयोगी साथ हैं। सवाल यह है कि अगर JDU ने टिकट नहीं दिया, तो आरसीपी सिंह का भविष्य क्या होगा। वैसे कुछ लोगों को अब भी उम्मीद की एक पतली किरण दिख रही है कि क्या पता, नीतीश कुमार का मन बदल जाए! वैसे अब सारे ग्रह-नक्षत्र आरसीपी के खिलाफ हैं।
अगर जदयू ने आरसीपी सिंह को टिकट नहीं दिया, तो उनके पास तीन रास्ते होंगे। पहला, वे भाजपा में शामिल हो जाएं। वे मन-मिजाज से भी इसके लिए फिट बैठते हैं और भाजपा नेतृत्व से उनकी बनती भी है। उनके पास दूसरा विकल्प है कि वे अलग पार्टी बना कर जमीन पर उतरे और तीसरा विकल्प है कि वे जदयू में ही रहें और दिन फिरने का इंतजार करें। तीनों विकल्पों की संभावनाएं और बाधाएं क्या-क्या हैं?
आरसीपी सिंह को भाजपा नेतृत्व ही नहीं, बिहार का कार्यकर्ता भी पसंद करता है और उनका भाजपा में स्वागत करने को तैयार है। लेकिन इसमें सबसे बड़ी बाधा नीतीश कुमार हैं। भाजपा चाह कर भी आरसीपी सिंह को पार्टी में नहीं ले सकती, क्योंकि ऐसा करना नीतीश कुमार को नाराज करना होगा। भाजपा नीतीश कुमार की कीमत पर कोई काम नहीं कर सकती, क्योंकि 2024 लोकसभा चुनाव में उसे नीतीश का सहयोग चाहिए। इसलिए इस संभावना के तत्काल फलीभूत होने की कोई गुंजाइश नहीं दिखती।
दूसरी संभावना है कि आरसीपी अलग पार्टी बनाएं। शायद आरसीपी भी जानते होंगे कि पार्टी बनाना आसान है, पर चलाना बेहद कठिन। हां, वे ऐसा तब ही कर सकते हैं, जब भाजपा नेतृत्व उन्हें इस दिशा में आगे बढ़ने को कहे। फिर तीसरी संभावना है कि वे चुपचाप बैठकर राजनीतिक हालात बदलने की प्रतीक्षा करें। यह वेे कर सकते हैं।
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