JDU की बुरी नजर से इस टोटका से बचेगी बिहार कांग्रेस
जबसे JDU चालीस सीटों के आसपास सिमटी है उसकी बुरी नजरें छोटे दलों पर टिकी हैं. एलजेपी और रालोसपा को वह पहले ही हजम कर चुका है. अब कांग्रेस (Bihar State Congress Committee पर है.
खबरों के गलियारे में अक्सर यह कानाफुसी सुनी जाती है कि जनता दल युनाइटेड (JDU) अब कांग्रेस के विधायकों पर डोरे डाल रही है. वैसे उसने इससे पहले भी कांग्रेस के अनेक कद्दावर नेताओं को बहला कर ले जा चुकी है. उनमें से एक महत्वपूर्ण नाम अशोक चौधरी का है. चौधरी कभी बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हुआ करते थे. लेकिन जब उन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डोरे डाले तो वह जदयू के हो लिए और आज बिहार कैबिनेट में मंत्री हैं.
अमित शाह बोले 1947 के पहले भी था लोकतंत्र, उठे ये सवाल
इधर बिहार प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेताओं को अभ भी आशंका है कि नीतीश कुमार का जदयू उनके विधायकों को तोड़ सकते हैं. इस आशंका के मद्देनजर कांग्रेस ने एक तरह से टोटके का सहारा लेना शुरू कर दिया है. कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास ने आला कमान को एक फार्मुला भेजा है. इस फार्मुले के तहत बिहार कांग्रेस के करीब आठ विधायकों को भारी-भरकम पद से नवाज कर उन्हें पार्टी में बांधे रखने की सिफारिश की गयी है. इस सिफारिश के तहत यह माना जा रहा है कि जल्द ही पार्टी न सिर्फ एक दलित को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है बल्कि आठ नेताओं को कार्यकारी अध्यक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है.
आषाढ़ की उमस में कांग्रेसी दिखा रहे तेवर
बताया जा रहा है कि पार्टी नेता प्रवीण कुशवाहा, कुमार आशीष, चंदन यादव सहित दो मुस्लिम विधायकों को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकता है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस आलाकमान को डर है कि विधायक एक साथ टूटकर न चले जाएं. इसीलिए सात-आठ से कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाएगा.
गौरतलब है कि कांग्रेस, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल व वाम पंथी पार्टियों के साथ गठबंधन का हिस्सा है. जब से ललन सिंह जनता दल युनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं, तब से कांग्रेस का यह डर और मजबूत हो गया है. याद दिला दें कि हाल ही में चिराग पासवान को किनारे लगा कर पशुपति पारस को एलजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनवाने और उन्हें केंद्र में मंत्री बनवाने में ललन सिंह की महत्पूर्ण भूमिका रही है.