झारखंड विधानसभा चुनाव में यूं तो मुख्य मुकाबला झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्ववाले इंडिया गठबंधन तथा भाजपा के नेतृत्ववाले एनडीए गठबंधन में ही है, लेकिन असददुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम तथा जयराम महतो के नेतृत्व वाले जेकेएलएम (झारखंड क्रांतिकारी लोकतांत्रिक मोर्चा) के कारण कई सीटों का परिणाम बदल सकता है। झारखंड एआईएमआईएम ने 34 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बनाया था, लेकिन पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने 11 सीटों पर जोर लगाने का निर्णय लिया। हालांकि जानकारी मिल रही है कि सीटों की संख्या बढ़ सकती है। उधर जयराम महतो का महतो समुदाय पर अच्छा प्रभाव है। लोकसभा चुनाव में जयराम महतो की पार्टी को कहीं सफलता नहीं मिली, लेकिन उनकी पार्टी ने कई सीटों पर बेहतर वोट प्राप्त किए। एक सीट पर लाख से अधिक वोट मिले थे।
माना जा रहा है कि एआईएमआईएम के कारण इंडिया गठबंधव को नुकसान हो सकता है, तो जयराम महतो भाजपा को परेशानी में डाल सकते हैं। एआईएमआईएम के कारण पाकुड़, राजमहल , गोड्डा, महगामा, सारठ, मधुपुर, रांची, हटिया, लोहरदगा, मांडर, खिजरी का चुनाव खास हो गया है। अगर पार्टी यहां अच्छा वोट पाने में सफल होती है, तो इंडिया गठबंधन को नुकसान हो सकता है।
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वहीं जयराम महतो का महतो समुदाय में प्रभाव है, खास कर इस समुदाय के युवा वर्ग पर उनका प्रभाव है। आजसू भाजपा के साथ है। आजसू का प्रभाव महतो समुदाय पर रहा है। आजसू प्रमुख सुदेश महतो और जयराम महतो में भीतर ही भीतर इस बात के लिए प्रतिद्वंद्विता चल रही है कि महतो बिरादरी का कौन बड़ा नेता है। भाजपा ने आजसू को 10 सीटें दी हैं। इसके प्रत्याशी मुख्यतः महतो और पिछड़ी जाति की आबादी वाले इलाके से चुनाव लड़ रहे हैं। अगर जयराम महतो अच्छा वोट हासिल करते हैं, तो सुदेश महतो की राजनीति को झटका लग सकता है। जयराम महतो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ ज्यादा मुखर रहे हैं।
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