झारखंड की दो बेटियां ओलंपिक में खेलेंगी हॉकी, बिहार ले सबक
झारखंड की दो बेटियों ने प्रदेश का सिर ऊंचा कर दिया। पूरे झारखंड में खुशी की लहर है। हेमंत सोरेन ने बधाई दी। क्या बिहार के मुख्यमंत्री झारखंड से कुछ सीखेंगे?
आज झारखंड के लोग खुशी मना रहे हैं। वे गर्व का अनुभव कर रहे हैं। गर्व करने का मौका दिया दो बेटियों ने। निक्की प्रधान और सलीमा टेटे टोक्यो ओलंपिक के लिए भारतीय हॉकी टीम का सदस्य चुनी गई हैं। दोनों ने फाइनल 16 में जगह बनाई है। उन्हें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आगे बढ़कर बदाई दी। उन्होंने ट्वीट किया- झारखण्ड की बेटियों ने बढ़ाया मान। टीम इंडिया सहित झारखण्ड की बेटियों को शुभकामनाएं एवं जोहार। @SportsJhr इसके साथ ही उन्होंने एक पोस्टर शेयर किया है, जिसमें दोनों बेटियां हॉकी खेलती दिख रही हैं। पोस्टर में मोटे अक्षरों में लिखा है-झारखंड का गौरव।
बिहार का क्या हाल है? बिहार के खेल अधिकारी हमेशा किसी खिलाड़ी का बिहार कनेक्शन खोजकर खुश हो लेते हैं। बिहार का खेल जगत देश के किस नंबर पर है, यह बताने की जरूरत नहीं। लेकिन सबसे बड़ी बात है कि बिहार सरकार दूसरे से कुछ भी सिखने को तैयार नहीं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल में खेल विवि बनाने की घोषणा की है। उन्होंने इसमें लड़कियों को आरक्षण देने की भी बात कही। लेकिन खेल में आगे बढ़ने का कोई रोडमैप नहीं दिखता, कोई लक्ष्य नहीं दिखता।
नौकरशाही डॉट कॉम ने खुद पाटलिपुत्र खेल परिसर में पांच-छह लड़कियों को पिछले साल पुटबॉल खेलते देखा था। वे बिना किसी कोच के खुद खेल का अभ्यास कर रही थीं। बिना कोच के खेलनेवाली लड़कियों की प्रतिभा कितना विकसित होगी, इसे समझा जा सकता है।
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बिहार के खिलाड़ियों को सुविधा देने, उन्हें मंच देने के मामले में स्थिति दयनीय है। जो खिलाड़ी मैदान में पसीना बहाते हैं, उनसे बात करिए, तो सरकारी उदासीनता से वे हताश हैं। वे खेल में आगे बढ़ने के बजाय किसी तरह कोई नौकरी मिल जाए, इससे आगे का सपना ही नहीं देख पाते। जो सपने देखते हैं, उनके सपने बीच रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।
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