मेरा एक अभिन्न मित्र, सलाहकार और हर दिल अजीज, आज शाम हम लोगों से जुदा हो गया। जनवरी के उत्तरार्ध से बीमार चल रहे थे, पटना में। मार्च महीने में कैंसर डिटेक्ट हुआ। लॉकडाउन में दिल्ली रहे। चार दिन पहले लौटे।
अभय सिंह, वरिष्ट पत्रकार
परसों उनके आवास पर मिलने गया। स्थिति देखी नहीं गई। मेरे साथ, हिन्दू अखबार के सीनियर पत्रकार अमरनाथ तिवारी और पत्रकार नीरज सहाय साथ थे।
वे मेरे परिवार से बहुत नजदीकी ढंग से जुड़े थे। हमारे एलबम में उनके फोटोग्राफ है, दोनों बेटों के साथ भी, जब वे छोटे ही थे। पिछले दो दिन से हम सभी बहुत दुखी थे। मेरी पत्नी अर्पणा सिंह रोती थी, सिसकती थी। कल रात बीच बीच में ही नींद से उठ जाती थी।
शाद जी के साथ मेरी अंतिम बात चीत:
अर्पणा को क्या कहूंगा घर पर?
सब ठीक है।
क्या उसे भी यहां लाऊं?
हाथ के इशारे से ही कह पाए। जैसी आपकी मर्जी।
हमारी मुलाकात परसों दोपहर में हई थी। और आज वे ऑक्सीजन पर थे, मूर्छित। बगल में खड़े होकर मैंने कहा: शाद जी, शाद जी। हल्की सी भान के साथ आंखें खोली, फिर बंद।पत्रकार का काम कितना कठोर होता है। उन्हें छोड़, घर लौट गया, रिपोर्ट लिखने के लिए।
और सात बजे के बाद जाना कि यही कुछ शब्द हमारे बीच के अंतिम शब्द थे।
पत्रकार अभिषेक, सामाजिक कार्यकर्ता व्यक्ति भीम – दोनों लगातार उनके साथ रहे। अल्लाह इन दोनों को अपनी इनायतों से भर दे। दुख संतप्त परिवार को भी शक्ति देंगे अल्लाह।
शाद मूलरूप से भागलपुर के रहने वाले थे. वह पटना में दैनिक जागरण ब्यूरो में थे. हाल ही में उन्होंने रिटायरमेंट लिया था.
शाद भाई ने 22 मार्च को अपने फेसबुक अपडेट किया था. और बताया था कि वे दिल्ली के वेदांता में हैं. डाक्टरों ने पेनक्रियाटिक प्रोब्लेम डिटेक्ट किया है.