कैसे बचेगी बेटी? सिसोदिया नहीं बोल पाए रेपिस्टों को छोड़ना गलत
अगर अपनी जाति-धर्म की बेटी के साथ रेप हो, तो फांसी दो, दूसरे के साथ हो तो चुप रहेंगे। अगर आप ऐसा सोचते हैं, तो यह खबर मत पढ़िए।
दिल्ली के मंत्री और आप के बड़े नेता मनीष सिसोदिया गुजरात पहुंचे। वहां पत्रकार ने पूछा कि आप गुजरात आए हैं। केंद्र सरकार ने बिलकिस बानो के रेपिस्टों की सजा माफ करने की स्वीकृति दी। आप क्या कहेंगे? इस सवाल से मनीष सिसोदिया ने जो कहा, उससे देश का हर संवेदनशील नागरिक हिल गया। सिसोदिया इतना भी नहीं कह पाए कि बिलकिस बानो के साथ गलत हुआ। कहा कि जिसको जिससे मतलब है, उस पर बोल रहा है। हम शिक्षा पर बोल रहे हैं। निर्भया रेप कांड के बाद रेपिस्टों को फांसी दो नारे के साथ सड़क पर तीखा आंदोलन करनेवाले सिसोदिया रेपिस्टों के प्रति नरमी दिखाए जाने पर मुंह तक नहीं खोल पाए। ये लोग देश को कहां ले जा रहे हैं, पहचानिए। ये है वीडियो
सवाल – आप गुजरात आकर बिलक़िस पर नहीं बोलते
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) October 18, 2022
जवाब – हम शिक्षा पर बोल रहे हैं, जिसको जिससे मतलब है वो उस पर बोले
आम आदमी पार्टी को इस देश की एक बेटी के बलात्कारियों की बेशर्म रिहाई से कोई मतलब नहीं है
चलो दिखावा भी छोड़ दिया @AamAadmiParty ने pic.twitter.com/5tHm63EKRp
वीडियो सामने आने के बाद लोग पूछ रहे हैं कि अगर रेप करने वाले मुसलमान होते और उन्हें छोड़ दिया जाता, तब भी क्या वे चुप रहते? जो लोग अपनी जाति और अपने धर्म की बेटी के साथ रेप होने पर उग्र होते हैं और दूसरी जाति-दूसरे धर्म के बेटी के साथ रेप होने पर चुप रह जाते हैं, वे देश को खतरनाक रास्ते पर ले जा रहे हैं। कल जाति और धर्म भी नहीं रहेगा। तब रुतबा देखा जाएगा। संकीर्णता और भी बढ़ेगी, तो पड़ोसी की बेटी के साथ दुष्कर्म होने पर भी कोई नहीं बोलेगा।
लेखक और स्टैंडअप कॉमेडियन राजीव निगम ने कहा-अरविन्द केजरीवाल बिलकिस बानो के रेपिस्ट पे चुप क्यों है.. क्या वो अपने स्कूल में यही पढ़ाना चाहते है..स्कूल के पीछे छिप कर देश को क्या संदेश देना चाहते है।
पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी ने लिखा-वाह सिसोदिया जी वाह… सर्वेश्वर की ये कविता आप ही को समर्पित..
यदि तुम्हारे घर के
एक कमरे में आग लगी हो
तो क्या तुम दूसरे कमरे में सो सकते हो?
यदि तुम्हारे घर के
एक कमरे में लाशें सड़ रही हों
तो क्या तुम दूसरे कमरे में प्रार्थना कर सकते हो?
यदि हाँ तो मुझे तुमसे कुछ नहीं कहना।
लेखक अशोक कुमार पांडेय ने लिखा-जिसका कोई पक्ष नहीं होता वह अक्सर अत्याचारियों के साथ खड़ा होता है। बक़ौल राष्ट्रकवि दिनकर –
जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनके भी अपराध।
अंकिता हो या बिलकिस, पक्ष तो तय करना होगा।
मेरे वरिष्ठ मित्र बल्ली सिंह चीमा ने लिखा है – तय करो किस ओर हो तुम. आदमी के साथ हो या कि आदमखोर हो।
युवा कांग्रेस के श्रीनिवास ने कहा-आखिर सही बोला सिसोदिया ने, अब उन्हें दुष्कर्म पीड़ित देश की बेटियों से कोई मतलब नही है..! एक वक्त था जब नौटंकी के लिए ही सही, लेकिन रगों में पानी नही, खून दौड़ता था।
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