जेल में बंद पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन गांडेय से विधानसभा उपचुनाव जीत गई हैं। उन्होंने 26483 वोट से जीत दर्ज की है। उनकी जीत से झारखंड की राजनीति पर गहरा असर होगा। झारखंड की वह पहली आदिवासी महिला नेता हैं, जिन्होंने केंद्र की सत्ता पर काबिज नरेंद्र मोदी जैसे शक्तिशाली नेता, धनबल और मीडिया के एकतरफा प्रचार के खिलाफ सीधा मुकाबला किया। उन्होंने पूरे प्रदेश का दौरा किया और झारखंड मुक्ति मोर्चा ही नहीं, बल्कि इंडिया गठबंधन के प्रचार का नेतृत्व किया।
कल्पना सोरेन ने भाजपा के दिलीप वर्मा को शिकस्त दी है। उनकी जीत से झामुमो को नई ताकत मिली है। भाजपा को उम्मीद थी कि हेमंस सोरेन को जेल में डाल कर वह राज्य की राजनीति पर हावी हो जाएगी, लेकिन हुआ उल्टा। आदिवासी समाज ने हेमंत सोरेन को जेल भेजने को आदिवासी अस्मिता पर प्रहार माना। एक उभरते हुए आदिवासी नेता की राजनीतिक हत्या करने की कोशिश माना और इसीलिए उसकी सहानुभूति हेमंत के साथ दिखा। कल्पना सोरेन ने हिम्मत दिखाई और भाजपा के आगे झुकने के बजाय भिड़ गईं, उससे आदिवासी समाज गौरवान्वित हुआ। देखते-देखते कल्पना सोरेन स्टार प्रचारक बन गईं। उनके अभियान में मुख्यमंत्री चंपई सोरेन तथा कांग्रेस का भी साथ मिला।
कल्पना की जीत झारखंड की राजनीति में दूरगामी असर छोड़ने वाली है। वह महिला हैं, उनके पति जेल में हैं, उनके साथ आदिवासी समाज की सहानुभूति है, इंडिया गठबंधन का समर्थन है, इस स्थिति में भाजपा चाह कर भी कल्पना सोरेन पर हमला नहीं कर पाएगी। अगर भाजपा ने हमला करने की कोशिश की, तो उसे और भी ज्यादा नुकसान होगा।
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हेमंत सोरेन की दूरदर्शिता की भी तारीफ करनी होगी। जेल जाने के बाद उन्होंने तुरत कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश नहीं की। पार्टी के वरिष्ठ नेता को सत्ता सौंपी। अब एक चुनाव अभियान का नेतृत्व करने के बाद कल्पना सोरेन की पार्टी के भीतर ही नहीं, बाहर भी स्वीकार्यता बढ़ी है। कल्पना सोरेन के रूप में झारखंड को एक नई महिला नेता मिल गई है।