कंगना रनौत ने कही ऐसी बात, देशभर में हो रही छीछालेदर

प्रधानमंत्री मोदी को भगवान घोषित करनेवाली अभिनेत्री कंगना रनौत ने एक ऐसी बात कह दी कि देशभर में हो रही छीछालेदर। भाजपा सांसद ने भी भेजी लानत।

कुमार अनिल

मोदी सरकार ने तीन दिन पहले जिस अभिनेत्री कंगना रनौत को पद्मश्री सम्मान दिया, उसने आज स्वतंत्रता आंदोलन की पहली लड़ाई 1857 और फिर महात्मा गांधी के नेतृत्व में आजादी के पूरे आंदोलन और विरासत पर स्याही फेंकने की कोशिश की। उसके बाद पूरे देश से लोग थू-थू कर रहे हैं। यहां तक कि भाजपा के एक सासंद ने भी कंगना रनौत को लानत भेजी है।

कंगना रनौत का एक वीडियो जबरदस्त वायरल है। वह प्रधानमंत्री मोदी समर्थक न्यूज चैनल टाइम्स नाऊ पर इंटरव्यू दे रही थीं। इंटरव्यू में कंगना रनौत कह रही हैं कि मंगल पांडेय से लेकर महात्मा गांधी तक ने जो कुर्बानी दी, वह आजादी नहीं थी। वह भीख थी। असली आजादी 2014 में मिली। इसीलिए सभी आपको भगवा कहते हैं।

पूरे स्वतंत्रता आंदोलन का अपमान, देश की आजादी को भीख बताने तथा नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही सच्ची आजादी मिलने की बात कहने पर कंगना रनौत के खिलाफ तीखी प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है।

भाजपा सांसद वरुण गांधी ने कंगना का वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया-कभी महात्मा गांधी जी के त्याग और तपस्या का अपमान, कभी उनके हत्यारे का सम्मान, और अब शहीद मंगल पाण्डेय से लेकर रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों का तिरस्कार। इस सोच को मैं पागलपन कहूं या फिर देशद्रोह?

इतिहासकार एस इसफान हबीब ने कहा- यह या वह नहीं, कंगना का बयान पागलपन और देशद्रोह दोनों हैं। लेखक और प्राध्यापक पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा- स्वाधीनता के लिए बेहिसाब क़ुर्बानियाँ देने वालों का तिरस्कार पागलपन नहीं, देशविरोधी, समाजतोड़क सोच का सबूत है।

पत्रकार नितिन ठाकुर ने कहा-एक मैडम कह रही थीं कि आज़ादी 99 साल की लीज़ पर मिली है। दूसरी कह रही हैं देश 2014 में आज़ाद हुआ है। इनमें से कोई बता दे कि ये 24 साल पहले लीज़ रिन्यू कराई गई है या पूरा कॉन्ट्रैक्ट नया है? कुमार सुरेंद्र पासवान ने कहा-तकलीफ उनसे हुई जिन्होंने इस बात पर तालियां बजाई। आज देश यहां खड़ा है।

राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा- वीरांगना लक्ष्मी बाई, कुवँर सिंह जी , भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद जैसे हजारों लोगों के बलिदान से 15 अगस्त 1947 में मिले आजादी को भीख बताकर शहीदों को अपमानित करने वाले को पद्म पुरस्कार से सम्मानित करना कितना उचित है ?

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By Editor


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