कप्पन केस : पत्रकार, ब्लॉगर और फेसबुकिया लेखक सावधान हो जाएं
सिद्दीक कप्पन को आप भूले नहीं होंगे। उन्हें हाथरस जाते समय यूपी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पुलिस ने चार्जशीट में जो लिखा है, हर तरह के लेखक सावधान हो जाएं।
कुमार अनिल
आप पत्रकार हैं, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे ट्विटर, फेसबुक पर लिखते हैं, ब्लॉगर हैं, तो आप सावधान हो जाएं। सिद्दीक कप्पन पिछले एक साल से जेल में हैं। उन्हें हाथरस में हुए दुष्कर्म की रिपोर्ट करने जाते समय यूपी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। तब उनका संबंध कहां-कहां से नहीं बताया गया था। अब पुलिस ने जो चार्जशीट दायर की है, वह हर पत्रकार, लेखक के लिए चिंता का विषय है।
पुलिस ने उनका संबंध चरमपंथी संगठनों से होने का शक जताया था। उन पर शांति भंग करने का आरोप था। उनपर देशद्रोह का चार्ज लगा। अब जो चार्जशीट में पुलिस ने लिखा है, उससे हर पत्रकार और लेखक का चिंतित होना स्वाभाविक है।
पुलिस ने अपने पक्ष में कप्पन के आलेखों की भाषा का विश्लेषण किया है। पांच हजार पन्नों की चार्जशीट में पुलिस ने कप्पन के 36 आलेखों-रिपोर्ट का विश्लेषण किया है। पुलिस का कहना है कि कप्पन के लेख ‘एक जिम्मेवार पत्रकार’ की तरह नहीं हैं। वे हमेशा अत्याचार की घटनाओं की रिपोर्ट करते हैं। उनकी लेखनी माओवादी और कम्युनिस्टों की तरफ झुकाव वाली है।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार पुलिस ने दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज, सीएए विरोधी प्रदर्शन, दिल्ली दंगे पर कप्पन की रिपोर्टों का विश्लेषण करते हुए चार्जशीट में कहा कि उनकी रिपोर्ट में मुस्लिमों को पीड़ित बताने की कोशिश की गई है। मुसलमानों के खिलाफ पाकिस्तान जाने जैसे नारे का उल्लेख बताता है कि कप्पन मुस्लिमों को भड़काना चाहते थे।
@scroll_in की एक्जीक्यूटिव एडिटर सुप्रिया शर्मा ने कहा- यह बेहद अतार्किक और डरावना है- यूपी पुलिस अब सि्ददीक कप्पन का आलेखों के शब्दों का विश्लेषण कर रही है और दावा कर रही है कि उनकी रिपोर्टिंग गैरजिम्मेदार और सांप्रदायिक है। हर पत्रकार को कानून के इस अतिक्रमण या कानून के नाम पर धोखे से सावधान हो जाना चाहिए।
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